Supreme Court Stays Proceedings Of Lower Court In Religious Conversion Case In Uttar Pradesh – क्या यह जबरदस्ती किया गया था? : SC ने धर्म परिवर्तन मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर लगाई रोक



qkivs218 supreme Supreme Court Stays Proceedings Of Lower Court In Religious Conversion Case In Uttar Pradesh - क्या यह जबरदस्ती किया गया था? : SC ने धर्म परिवर्तन मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत की कार्यवाही जारी रखने के संबंध में उत्तर प्रदेश सरकार के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया. न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘मामले में सुनवाई अदालत में प्राथमिकी के संबंध में आगे की कार्यवाही नहीं होनी चाहिए.”

पीठ ने पूछा, “क्या यह जबरदस्ती किया गया था? यह वास्तविक धर्मांतरण था? आरोपी की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने जवाब दिया कि धर्मांतरण के संबंध में इस दावे के साथ एफआईआर दर्ज की गई हैं कि जबरन धर्मांतरण कराया गया. उन्होंने यह भी कहा कि एफआईआर किसी पीड़ित के कहने पर नहीं, बल्कि वास्तव में सह-अभियुक्त के कहने पर दर्ज की गई हैं.

पीठ ने कहा कि धर्मांतरण अपने आप में एक अपराध नहीं है. लेकिन जब यह अनुचित प्रभाव, गलत बयानी, जबरदस्ती आदि द्वारा किया जाता है तो ऐसी परिस्थिति में केवल पीड़ित ही यह कह सकता है कि उसका अवैध रूप से धर्मांतरित किया गया है. पीठ ने जानना चाहा कि धर्मांतरण सामूहिक धर्मांतरण से किस प्रकार भिन्न है?

पीठ ने कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे समेत कई वकीलों की इस दलील पर गौर किया कि निचली अदालत में कार्यवाही पर रोक लगा दी जाए, क्योंकि सभी आरोपियों को इन मामलों में राज्य पुलिस द्वारा दाखिल नए आरोपपत्रों के मद्देनजर जारी किए गए समन के बाद पेश होना होगा.

आरोपियों में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुक्ता गुप्ता ने कहा कि कथित पीड़ितों में से किसी की भी गवाही राज्य पुलिस द्वारा दर्ज नहीं की गई, जिनके बारे में दावा किया गया था कि उन्हें बहकाकर ईसाई धर्म में परिवर्तित कराया गया था.

पीठ ने दलीलें सुनीं और मामले की अगली सुनवाई दो अगस्त के लिए सूचीबद्ध की. पीठ लाल और अन्य के खिलाफ कथित अवैध धर्मांतरण मामले में दर्ज पांच प्राथमिकियों को रद्द करने या इन्हें आपस में जोड़ने का अनुरोध करने वाली नौ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

लाल के खिलाफ मामले भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 504 (शांति भंग करने के मकसद से इरादतन अपमान करना) और 386 (वसूली) के तहत दर्ज हैं. उनके खिलाफ उत्तर प्रदेश अवैध धर्मांतरण अधिनियम 2021 के कुछ प्रावधानों के तहत भी मामला दर्ज है.

सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर आदेश पारित कर आरोपियों को फतेहपुर में दर्ज प्राथमिकियों के सिलसिले में गिरफ्तारी से राहत दी है. उत्तर प्रदेश पुलिस ने अदालत से कहा था कि लाल और अन्य आरोपी उस सामूहिक धर्मांतरण कार्यक्रम के ‘‘मुख्य साजिशकर्ता” थे जिसमें करीब 20 देशों से प्राप्त किये गये धन का इस्तेमाल किया गया था.

पुलिस का आरोप है कि आरोपियों में शामिल लाल एक कुख्यात अपराधी है जो धोखाधड़ी और हत्या सहित विभिन्न तरह के 38 मामलों में संलिप्त है. ये मामले पिछले दो दशकों में उत्तर प्रदेश में दर्ज किये गए थे.

पुलिस ने यह आरोप भी लगाया है कि करीब 90 हिंदुओं का ईसाई धर्म में धर्मांतरण करने के लिए उन्हें फतेहपुर के हरिहरगंज स्थित ‘इवंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया’ में एकत्र किया गया था.

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