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भरत चौबे. सीतामढ़ी के डुमरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में चंद पैसों के लाभ के लिए मरीजों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. पीएचसी में बिना डॉक्टर की सलाह के ही मरीजों को अल्ट्रासाउंड के लिए भेजा जा रहा है, जो गर्भवती महिलाओं और उनके शिशुओं की सेहत के लिए खतरा पैदा कर सकता है.

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत आयोजित स्वास्थ्य शिविरों में दूर-दराज के भोले-भाले मरीज चेकअप के लिए आते हैं. लेकिन आशा कार्यकर्ताओं और अन्य कर्मियों द्वारा इन्हें बहला-फुसलाकर निजी क्लीनिकों में अनावश्यक अल्ट्रासाउंड कराने के लिए भेजा जाता है. शनिवार को हुए शिविर के निरीक्षण के दौरान सामने आया कि डॉक्टरों ने केवल दो महिलाओं को ही अल्ट्रासाउंड के लिए लिखा था, जबकि अन्य कई महिलाओं को बिना जरूरत के अल्ट्रासाउंड के लिए भेजा जा रहा था.

स्वास्थ्य प्रबंधक ने मौके पर जब इन अनावश्यक अल्ट्रासाउंड की वजह पूछी, तो आशा कार्यकर्ताओं ने गलती स्वीकारते हुए आगे ऐसा न करने का आश्वासन दिया. शिविर में मौजूद डॉक्टरों ने भी इस बात की पुष्टि की कि वे केवल जरूरतमंदों को ही अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह देते हैं, लेकिन आशा कार्यकर्ता अतिरिक्त कमीशन के लिए दबाव बनाते हैं. ऐसे मामलों से न केवल गर्भवती महिलाओं और उनके बच्चों की सेहत को नुकसान पहुंच सकता है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं पर भी सवाल खड़े होते हैं. आंकड़े बताते हैं कि गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की मौत के मामलों में कमी के लिए उचित देखभाल और सतर्कता बेहद जरूरी है.

मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) की शुरुआत गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण और व्यापक देखभाल देने के उद्देश्य से की गई. इसके तहत हर महीने की 9 और 21 तारीख को विशेष शिविरों का आयोजन होता है, जिसमें महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल पैकेज, अल्ट्रासाउंड, जांच और दवाइयां प्रदान की जाती हैं. हालांकि, कुछ मामलों में, लाभ के लिए महिलाओं को अनावश्यक अल्ट्रासाउंड के लिए बाध्य किया जा रहा है, जो मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. डॉ. सृष्टि के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान अधिक अल्ट्रासाउंड सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है, और आमतौर पर सिर्फ दो बार अल्ट्रासाउंड कराने की आवश्यकता होती है. इस विषय पर स्वास्थ्य प्रबंधक अनुपमा सिंह ने बताया कि शिविरों में अवांछित लोगों की मौजूदगी की समस्या को देखते हुए महिला पुलिस बल की तैनाती के लिए जिला प्रशासन से अनुरोध किया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि जबरन अल्ट्रासाउंड कराने वाले तत्वों और आशा कार्यकर्ताओं के खिलाफ उच्च अधिकारियों को पत्र भेजा जा रहा है.

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