Tahir Hussains bail Supreme Court LIVE: आपका तो आपराधिक इतिहास है….बेल पर जज ने उठाए सवाल, ताहिर हुसैन बोले- नहीं सर – Tahir Hussains bail Supreme Court Live Mustafabad seat candidate from AIMIM in Delhi Elections delhi Riots case


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Tahir Hussains Bail Supreme Court Live Updates: सुप्रीम कोर्ट में AIMIM उम्मीदवार ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही है. ताहिर पर दिल्ली दंगों से जुड़े 11 मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें से 9 में जमानत मिल चु…और पढ़ें

जस्टिस पंकज ने ताहिर को नहीं दी बेल, जस्टिस अमानुल्लाह बोले- 2 बजे फैसला

ताहिर हुसैन दिल्‍ली चुनाव में AIMIM के उम्‍मीदवार हैं. (News18)

हाइलाइट्स

  • ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई.
  • ताहिर पर दिल्ली दंगों से जुड़े 11 मुकदमे दर्ज हैं.
  • ताहिर ने मुस्‍तफाबाद सीट से नामांकन भरा है.

Tahir Hussains Bail Supreme Court Live Updates: दिल्‍ली चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM से उम्‍मीदवार ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. उसने मुस्‍तफाबाद सीट से नामांकन भरा है. ताहिर पर दिल्‍ली दंगो से जुड़े कुल 11 मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिसमें से 9 में उसे जमानत मिल चुकी है. सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच के जस्टिस पंकज मित्‍तल ने इस याचिका को तुरंत खारिज कर दिया जबकि जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि वो दो बजे अपना फैसला सुनाएंगे.

इससे पहले बेंच ने दिल्‍ली पुलिस से पूछा था कि जब दिल्‍ली चुनाव में समय कम है तो हमें अंतरिम जमानत देने से क्यों बचना चाहिए. अगर हम इस मामले को हाईकोर्ट भेजेंगे तो समय ही जाएगा. यह जीवन और स्वतंत्रता का प्रश्न है. ताहिर हुसैन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा मुझे पिछले 4 सालों से मेरे मतदाताओं से दूर रखा गया है. मार्च 2020 से मैं लगातार जेल में हूं. यदि कोई ओवरलैप है जहां आरोप आम है तो अदालत सजा सुनाते समय इस पर विचार करेगी कि क्या मुझे सजा सुनाई गई है.

आईबी अधिकारी की हत्‍या का आरोप
जस्टिस पंकज मिथल ने कहा कि ताहिर हुसैन का मामला एक हत्या का है, जहां एक IB अधिकारी को मारा गया था, यह सिर्फ दंगे नहीं थे. जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि हां, तब गंभीरता बदल जाती है. जस्टिस पंकज मिथल ने कहा कि सवाल यह है कि क्या ताहिर हुसैन को अंतरिम जमानत दी जा सकती है? जबकि ताहिर हुसैन का आपराधिक इतिहास इतना खराब है. ताहिर हुसैन के वकील अग्रवाल ने कहा कि मेरा कोई पूर्व इतिहास नहीं है. सिर्फ विरूपण के एक मामले में मुझे बरी कर दिया गया था. अग्रवाल ने कहा कि मैं किसी राजनीतिक दल के लिए प्रचार नहीं कर रहा हूं. मैं इसे अपने लिए कर रहा हूं, मैं कोई बीमारी नहीं फैला रहा हूं या दिखावा नहीं कर रहा हूं.

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने क्‍या कहा? 
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कहा कि यह हमारे समाज की दुर्भावना है, सिस्टम मनगढ़ंत हो गया है. ये लोकतंत्र है. हम सोचते हैं कि लोग पार्टी को वोट देते हैं लेकिन नहीं, लोग उम्मीदवारों को भी वोट देते हैं. जनता को व्यक्ति को चुनने का अधिकार है, पार्टी को नहीं. एक व्यक्ति को वहां रहना होगा. हां, लोग जेल के अंदर से भी जीत गए, लेकिन हमें यह देखना होगा कि यह व्यक्ति बाहर आ सकता है या नहीं ?

दिल्‍ली पुलिस ने ताहिर की याचिका पर क्‍या कहा?
दिल्‍ली पुलिस की तरफ से ताहिर हुसैन की याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि याचिकाकर्ता इस मामले और पीएमएलए सहित 11 मामलों में शामिल है, एक नागरिक के रूप में उसकी विश्वसनीयता कमजोर हो जाती है. अधिकांश मामलों में, याचिकाएं फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों से संबंधित हैं और उनमें से कई में उन्हें जमानत दी गई है. वर्तमान मामले में यह न केवल दंगों से संबंधित है, बल्कि भारत सरकार के एक खुफिया अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या से भी संबंधित है. आरोप बहुत गंभीर प्रकृति के हैं और कई महत्वपूर्ण गवाहों से पूछताछ की जानी बाकी है. याचिकाकर्ता का तर्क है कि नामांकन के लिए केवल हिरासत पैरोल पर्याप्त नहीं है यदि उसे प्रचार के लिए बाहर नहीं जाने दिया गया. यह ध्यान दिया जाता है कि चुनाव लड़ने का अधिकार हिरासत पैरोल द्वारा संरक्षित है. चूंकि चुनाव के लिए प्रचार करने का अधिकार मौलिक या वैधानिक अधिकार नहीं है, इसलिए यह अदालत के विवेक पर निर्भर करता है कि याचिकाकर्ता को उपरोक्त उद्देश्य के लिए रिहा किया जाना चाहिए या नहीं.

तो केस की बाढ़ आ जाएगी: दिल्‍ली पुलिस
दिल्‍ली पुलिस ने आगे कहा कि यदि अंतरिम जमानतदारों को चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी जाती है तो इससे भ्रम का पिटारा खुल जाएगा और चूंकि चुनाव साल भर होते रहते हैं, इसलिए हर कैदी आएगा और कहेगा कि वे चुनाव लड़ना चाहते हैं और इससे मुकदमेबाजी की बाढ़ आ जाएगी और इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती. यदि इसकी अनुमति दी जाती है, तो अगली कड़ी में याचिकाकर्ता वोट देने का अधिकार मांगेगा, जो एक मान्यता प्राप्त अधिकार है, लेकिन आरपीए द्वारा सीमित है, जिसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी चुनाव में मतदान नहीं करेगा, अगर वह जेल में बंद है या पुलिस की वैध हिरासत में है.

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जस्टिस पंकज ने ताहिर को नहीं दी बेल, जस्टिस अमानुल्लाह बोले- 2 बजे फैसला



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