Taj Mahal to Great Wall of China history of the seven wonders of the world how and why they built know everything


7 wonders of the world: पूरी दुनिया में सात अजूबे हैं, इन्हें हम सेवन वंडर्स के नाम से भी जानते हैं. इन अजूबों की कहानी बड़ी अजीब है जिसे सुनकर और पढ़कर आप विश्वास भी नहीं कर पाएंगे. ये अपने आप में ऐतिहासिक हैं और संस्कृति को दर्शाते हैं, ये उस समय के आर्किटेक्चरल आर्ट का प्रदर्शन करते हैं, जो कमाल की थी. आज इन्हें लाखों लोग देखने आते हैं. सरल शब्दों में कहें तो ये सात अजूबे  मानव सभ्यता के प्राचीन और आधुनिक वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं.

आज हम आपको इन सात अजूबों के बारे में आपको बताते हैं कि इनका निर्माण कैसे हुआ, क्यों हुआ, किसने करवाया और आखिर इनकी खासियत क्या थी जो इन्हें ही सात अजूबों में शामिल किया गया.  

इतने करोड़ लोगों ने किया वोट
साल 2000 में स्विस फाउंडेशन ने एक कैंपेन लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य था कि दुनियाभर से सात ऐसी कलाकृतियों का चयन करना है जो अपने आप में अलग हों या अद्वितीय हों. इस कैंपेन में उन सात अजूबों की लिस्ट दी गई जो सेकेंड सेंचुरी बीसी में बनाए गए थे और उनमें से एक अभी भी था, जो गीजा का पिरामिड है. इस कैंपेन के लिए 100 मिलियन (10 करोड़) लोगों ने वोट किया. इसमें इंटरनेट और टेक्स्ट मैसेज शामिल था. इस पूरे कैंपेन का फाइनल रिजल्ट साल 2007 में जारी हुआ. इस लिस्ट में तमाम ऐसी जगह जो दावेदार थी वह पीछे छूट गईं और इन सात को इस लिस्ट में शामिल किया गया.

चीन की दीवार
चीन की दीवार जिसको Great wall of China के नाम से जाना जाता है , इसे ग्रेट कहना भी शायद थोड़ा कम हो सकता है. यह दुनिया के सबसे लंबे प्रोजेक्ट में से एक है. इस वॉल की लम्बाई 5,500 मील यानी 8,850 किलोमीटर तक है. हालांकि चीन की तरफ से यह दावा किया जाता रहता है कि यह 21,200 किलोमीटर लंबी है. इसे 7 वीं सदी में शुरू किया गया था और करीब 2 मिलेनियम तक लगातार चलता है. चीन में सत्ता बदलती रही, लेकिन इसका निर्माण होता रहा. इस दीवार को बनाने के पीछे यह उद्देश्य था कि यह चीन के उत्तरी सीमाओं को आक्रमणों से बचा कर रखेगा, जिसमें  मंगोल और अन्य घुमंतू जनजातियों से चीन की रक्षा करना था.

ब्रिटेनिका के अनुसार इसको जिस उद्देश्य से बनाया गया था यह उसमें सफल नहीं रहा. लेख में इस बात का जिक्र किया गया है कि इस दीवार को एक प्रकार से राजनीतिक प्रचार के लिए ज्यादा उपयोग किया गया. इसके बारे में कहा जाता है कि इसको अंतरिक्ष से देखा जा सकता है, लेकिन यह बात अभी तक सिद्ध नहीं हो पाई है.

चिचेन इत्ज़ा
चिचेन इत्ज़ा को दूसरे नंबर पर रखा गया है. यह मैक्सिको में एक माया शहर है. इसे मयान ट्राइब इत्ज़ा ने विकसित किया था. यह शहर 9 वीं और 10 वीं शताब्दी तक सत्ता का एक केंद्र था. यह शहर अपने भव्य पिरामिड के लिए पूरी दुनिया में फेमस है. इसमें जो सबसे फेमस पिरामिड है वह एल कास्टिलो या द कैसल के नाम से जाना जाता है. इसकी ऊंचाई 79 फीट यानी 24 मीटर के आसपास है. इसका निर्माण इस तरह से किया गया है कि आधुनिक विज्ञान भी इसके सामने काफी चकित है. माया सभ्यता के खगोलशास्त्र और काल गणना से जुड़ा हुआ माना जाता है. इसको साल 1988 में यूनेस्को के वर्ल्ड हैरिटेज की लिस्ट में शामिल किया गया.

पेट्रा 
पेट्रा दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है, यह शहर जॉर्डन देश में स्थित है. यह एक तरह से रिमोट बेली में स्थित है, जिसमें बड़े बड़े चट्टानों पर आकार दिया गया है. यह शहर अपने जल निकासी के प्रबंध के लिए उस समय काफी फेमस था. इसको बाद में नबातियन नाम की एक अरब ट्राइब्स ने इसको अपनी राजधानी के रूप में विकसित किया. प्राचीन समय में यह शहर व्यापार का एक प्रमुख केंद्र था खासकर मसाले के व्यापार के लिए. 

इस शहर के पत्थरों को नक्काशीदार करके नबातियन लोगों ने अपने घर, टेंपल और मकबरे बनवाए, इसकी खास बात यह है जिसके कारण इसको सात अजूबों में शामिल किया गया है कि इन बनाएं गए नक्काशीदार इमारतों के रंग सूरज के बदलने के साथ बदल जाते हैं. इन इमारतों का रंग हल्के गुलाबी से लेकर लाल और सुनहरे रंगों में परिवर्तित हो जाता है. इस शहर में पुराने समय में ही गार्डेनिंग और खेती के हिसाब से वाटर सिस्टम विकसित कर लिए गए थे. बताया जाता है कि यहां 363 और 551 CE में विनाशकारी भुकंप आया था, जिससे यह शहर पूरी तरह तबाह हो गया. इस शहर की दुबारा खोज 1912 में हुई.

माचू पिचू

इस लिस्ट में चौथा नाम जो है वह माचू पिचू का है. यह ऐतिहासिक स्थल पेरू में स्थित है. इस शहर की खोज साल 1911 में हायरम बिंघम द्वारा की गई. यह शहर  समुद्र तल से 2,430 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जो अपनी अद्वितीय वास्तुकला और इंजीनियरिंग के लिए प्रसिद्ध है. बताया जाता है कि यह एक गुप्त इंका गढ़ था, जिसका उपयोग 16 वीं शताब्दी में स्पेनिस शासन के खिलाफ विद्रोह के लिए किया गया था. इसे लेकर तमाम थ्योरी निकल कर सामने आती रहती है. एंडीज पर्वतमाला में अपेक्षाकृत अलग-थलग होने के बावजूद, इसमें कृषि योग्य सीढ़ीनुमा खेत, चौक, आवासीय क्षेत्र और मंदिर मौजूद है.

माचू पिचू का निर्माण 15 वीं शताब्दी के मध्य में इंका सम्राट पचकुती इंका युपांकी द्वारा किया गया था. इसे एक शाही परिसर के रूप में विकसित किया गया था, जहां सम्राट और उनके परिवार धार्मिक और राजनीतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर सकते थे.

क्राइस्ट द रिडीमर

ये ब्राज़ील के रियो डी जनेरियो में स्थित एक विश्वप्रसिद्ध ईसा मसीह की विशाल मूर्ति है. इसे क्राइस्ट द रिडीमर के नाम से जाना जाता है. इस मूर्ति की खास बात यह है कि इसको कोर्कोवाडो पर्वत की चोटी पर स्थापित किया गया है. इसका नजारा आप पूरे रियो डी जनेरियो शहर से देख सकते हैं. इसका निर्माण प्रथम विश्वयुद्ध के कुछ समय बाद ही शुरू किया गया. उस दौरान ब्राजील के कुछ लोगों को लगा कि लोग तेजी के साथ नास्तिक बनते जा रहें हैं. इसे रोकने के लिए उनके मन में स्टेच्यू का विचार आया. इसे वर्ष 1922 में फ्रेंच मूर्तिकार पॉल लंडोवस्की और ब्राज़ीलियन इंजीनियर हीटर दा सिल्वा कोस्टा के नेतृत्व में बनाया गया.

इसका निर्माण साल 1922 में शुरू हुआ और 5 साल के बाद यह बनकर तैयार हो गया. इसकी ऊंचाई 98 फीट यानी 30 मीटर के करीब है. वहीं, इसके बेस की ऊंचाई 26 फीट या 8 मीटर के करीब है. इसमें ईसा मसीह के हाथों की लम्बाई 92 फीट यानी 28 मीटर है. यह अपने आप में एक अद्भभुत कला का प्रदर्शन है क्राइस्ट द रिडीमर को रात में विशेष रोशनी से सजाया जाता है, जिससे यह और भी भव्य दिखाई देता है और इसे दूर से भी देखा जा सकता है.

कोलेसियम 

इस लिस्ट में सातवां अजूबा जो है वह  कोलेसियम है, इसका निर्माण पहली शताब्दी में रोम के राजा वेसपासियन के कहने पर किया गया था. कोलेसियम का निर्माण इस उद्देश्य से किया गया था कि यह रोम के नागरिकों के मनोरंजन और साम्राज्य की शक्ति और गौरव को प्रदर्शित कर सके. इसे फ्लावियन एमपी थिएटर के नाम से भी जाना जाता है. इसमें  amphitheater का  क्षेत्रफल लगभग 6 एकड़ है, और यह लगभग 189 मीटर लंबा, 156 मीटर चौड़ा और 48 मीटर ऊंचा है.

इसकी खासियत यह है कि यहां 50,000 लोग एक साथ बैठकर अलग-अलग इवेंट का मजा ले सकते हैं. इसको ग्लैडिएटर खेल के लिए डिजाइन किया गया था, जिसमें  गुलाम, कैदी, या पेशेवर योद्धा एक-दूसरे से या जानवरों के साथ लड़ाई करते थे. इसमें शेर, बाघ, हाथी और भालू का इस्तेमाल भी किया जाता था. ब्रिटेनिका के अनुसार इसके बारे में एक विवाद है कि यहां ईसाइयों को शेरों के सामने फेंक कर शहीद कर दिया गया, हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं है. एक अनुमान है कि यहां काफी लोग मारे गए. कोलेसियम का निर्माण एक अद्वितीय रोमन वास्तुकला का प्रतीक है. इसमें 80 प्रवेश द्वार बनाए गए थे, जिससे हजारों लोग कुछ ही मिनटों में अंदर-बाहर आ सकते थे.

ताजमहल 

इस लिस्ट में आखिरी नाम भारत के ताजमहल का आता है. यह अपने आप में एक अद्भुत, अविश्वसनीय और बेहतरीन शिल्पकला का उदाहरण है, इसके लिए इसको दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया जाता है. इसको प्यार की निशानी भी माना जाता है, जिसको देखने पूरी दुनिया से हर साल लाखों लोग आते हैं. इसे मुग़ल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवाया था. ताजमहल सफेद संगमरमर से बना है और अपनी बेहतरीन नक्काशी, वास्तुकला और सुंदरता के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है. इसको बनाने में 22 साल और 20, 000 वर्कर लगे थे इसका निर्माण कार्य 1632 में शुरू हुआ था.

ताजमहल की खासियत है कि यह दिन के अलग-अलग समय पर अलग-अलग रंगों में दिखाई देता है. सूरज की रोशनी में यह गुलाबी या सुनहरे रंग का दिखता है, जबकि चांदनी रात में यह चमकदार सफेद नजर आता है. 1983 में, ताजमहल को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया गया, इसे दुनिया के सबसे खूबसूरत और संरक्षित स्मारकों में से एक माना जाता है.

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