Team India adopts new method for practice Rohit sharma army ready before WTC final | टीम इंडिया ने प्रैक्टिस के लिए अपनाया नया तरीका, WTC फाइनल से पहले तैयार रोहित की सेना
वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल मुकाबला भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच 7 जून से खेला जाएगा। इस मुकाबले के लिए टीम इंडिया प्रैक्टिस सेशन के दौरान जमकर पसीना बहा रहा है। आए दिन टीम इंडिया के खिलाड़ियों की प्रैक्टिस करने की तस्वीरे सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती हैं। इसी बीच टीम इंडिया ने अपने प्रैक्टिस सेशन में एक बड़ा बदवाल किया है। पिछले कुछ साल में भारतीय टीम के प्रैक्टिस सेशन में कई प्रयोग देखने को मिले हैं और अब वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की तैयारी के लिए भी टीम इंडिया कुछ ऐसा ही कर रही है।
टीम इंडिया ने अपनाया नया तरीका
टीम इंडिया अपने कैचिंग प्रैक्टिस के लिए रंग बिरंगी रबर गेंदों का इस्तेमाल कर रही है ताकि खिलाड़ियों को कैचिंग के दौरान आखिरी मौके पर गेंद के रूख बदलने पर भी कैच लपकने में परेशानी नहीं हो। यहां अभ्यास के दौरान शुभमन गिल को हरी गेंदों से कैच लपकते देखा गया। पीले रंग की भी गेंद थी लेकिन लॉन टेनिस गेंद नहीं थी जो आम तौर पर विकेटकीपर और करीबी फील्डिंग के अभ्यास के लिए इस्तेमाल की जाती है।
जानें क्यों ऐसा कर रही टीम इंडिया
एनसीए के लिए काम कर चुके एक मशहूर फील्डिंग कोच ने बताया कि ये खास तौर पर बनाई गई रबर गेंदे है, वह नहीं जो गली क्रिकेट में इस्तेमाल होती है। इन्हें रिएक्शन गेंद कहते हैं और ये इंग्लैंड या न्यूजीलैंड जैसे कुछ खास देशों में अभ्यास के लिए इस्तेमाल की जाती है जहां ठंडी हवा और ठंडा मौसम होता है। हरी गेंद की अहमियत के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि किसी खास रंग का कोई वैज्ञानिक या क्रिकेटिया कारण नहीं है। लेकिन स्लिप के फील्डिंग और विकेटकीपर के लिए रबर की गेंद खास तौर पर कैचिंग के लिए प्रयोग की जाती है। उन्होंने कहा कि इंग्लैंड एकमात्र देश है और कुछ हद तक न्यूजीलैंड में भी गेंद बल्लेबाज के बल्ले का बाहरी किनारा लेकर रूख बदल लेती है जिससे कैच लपकना मुश्किल हो जाता है। ड्यूक गेंद और भी डगमगाती है इसलिए रबर की गेंदों से अभ्यास किया जा रहा है क्योंकि ये अधिक स्विंग लेती हैं या डगमगाती हैं।