Telangana CM KCR Said People Want Change In Country In Upcoming Lok Sabha Election 2024
Lok Sabha Election 2024: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (KCR) ने लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी (BJP) पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने रविवार (11 जून) को कहा, “देश के लोग बदलाव चाहते हैं. केंद्र बिना किसी निर्देश के शासन कर रहा है, जो देश के विकास के लिए एक बड़ी बाधा है.” उन्होंने वंशवाद की राजनीति को लेकर कहा, “पार्टी के संस्थापक, दादा-पिता के नाम पर राजनीति बंद होनी चाहिए. हमें नामदारी नहीं कामदारी चाहिए.”
केसीआर ने कहा, “ये देश के लोगों पर निर्भर करता है कि वे ऐसी सरकारों को सत्ता में लाएं जिनके काम करने का तरीका अलग हो.” बुद्धिजीवियों से लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप एक साथ आने की अपील करते हुए उन्होंने कहा, “दिल वालों और दिमाग वालों की एकता की जरूरत है.” रविवार को मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से भारतीय राष्ट्र समिति (बीआरएस) में शामिल होने वाले नेताओं का स्वागत करते हुए सीएम केसीआर ने कहा, “वे तेलंगाना में लागू की गई पार्टी की नीतियों और विकास परियोजनाओं से प्रभावित होकर हमारे साथ आएं हैं.”
केसीआर का चुनाव आयोग पर निशाना
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने चुनाव आयोग पर भी निशाना साधते हुए कहा, “ईसीआई चुनाव प्रचार के दौरान झूठे वादों से नफरत फैलाने वाली पार्टियों और गलत कामों को रोकने में विफल रहा है.” केसीआर ने कहा, “चुनाव आयोग कुछ पार्टियों को उनके ‘खतरनाक एजेंडे’ को आगे बढ़ाने से रोकने में विफल रहा है.”
“मध्य प्रदेश में तेलंगाना जैसी योजनाएं क्यों नहीं?”
मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर सीएम ने कहा, “बीआरएस जल्द ही भोपाल में कार्यालय स्थापित करेगी और किसानों, दलितों, महिलाओं, युवाओं और अन्य से संबंधित मुद्दों के लिए नौ समितियों का गठन किया जाएगा.” उन्होंने तेलंगाना में चलाई जा रही रायथु बंधु, रायथु बीमा, मुफ्त बिजली और पेंशन सहायता जैसी योजनाओं के बारे में भी बात की. केसीआर ने लोगों से आग्रह किया, “वे केंद्र से पूछें कि इन योजनाओं को मध्य प्रदेश में क्यों लागू नहीं किया जाता है.”
“देश के लोगों को 24 घंटे बिजली देंगे”
उन्होंने कहा, “अगर बीआरएस सत्ता में आई तो वह दो साल में देश के लोगों को 24 घंटे बिजली सुनिश्चित करेगी. बीआरएस सिर्फ एक राजनीतिक दल नहीं बल्कि भारत को बदलने का एक मिशन है.” केसीआर ने कहा, “किसानों की आत्महत्याओं के पीछे का कारण इस तरफ केंद्र का ध्यान न देना है. इस देश में सात दशकों के बाद भी आदिवासियों, दलितों और पिछड़े समुदायों की दुर्दशा अभी भी जारी है.”
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