Terrorism Is One Of The Major Threats To International Peace And Security: S Jaishankar – अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए प्रमुख खतरों में से एक है आतंकवाद: एस जयशंकर
जयशंकर ने ब्रिक्स के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से हमला बोलते हुए कहा कि आतंकवाद का उसके सभी स्वरूपों और अभिव्यक्तियों में मुकाबला किया जाना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में आतंकवादी कृत्यों में संलिप्त लोगों को कभी भी माफ नहीं किया जाना चाहिए.
जयशंकर ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए प्रमुख खतरों में से एक आतंकवाद है. सभी राष्ट्रों को इसके वित्तपोषण और प्रचार सहित इस खतरे के खिलाफ दृढ़ कदम उठाने चाहिए. ” इस बैठक में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के अलावा दक्षिण अफ्रीका की विदेश मंत्री नालेदी पंडोर भी मौजूद थीं.
जयशंकर ने अतीत में पाकिस्तान को ‘आतंकवाद का केंद्र’ बताया है जहां हाफिज सईद, मसूद अजहर, साजिद मीर और दाऊद इब्राहिम जैसे आतंकवादियों ने पनाह ली है. जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय स्थिति को चुनौतीपूर्ण करार देते हुए कहा कि वैश्विक वातावरण आज मांग करता है कि ब्रिक्स राष्ट्रों को प्रमुख समकालीन मुद्दों पर गंभीरता से, रचनात्मक और सामूहिक रूप से विचार करना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी बैठक के जरिए एक मजबूत संदेश जाना चाहिए कि दुनिया बहुध्रुवीय है, यह पुनर्संतुलन कर रही है और पुराने तरीकों के साथ नयी स्थितियों से नहीं निपटा जा सकता है. हम परिवर्तन के प्रतीक हैं और हमें उसी के अनुसार कार्य करना चाहिए. ‘ जयशंकर ने यूक्रेन संघर्ष का उल्लेख किए बिना कहा, ‘‘ यह जिम्मेदारी और भी बड़ी है क्योंकि हम कोविड-19 महामारी के विनाशकारी परिणामों, संघर्ष से उत्पन्न होने वाले तनावों और ग्लोबल साउथ के आर्थिक संकट पर विचार कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि इनसे मौजूदा अंतरराष्ट्रीय ढांचे की गहरी कमियां रेखांकित होती हैं जो आज की राजनीति, अर्थशास्त्र, जनसांख्यिकी या आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित नहीं करता है. जयशंकर ने ब्रिक्स के सदस्य देशों से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार के लिए अपनी गंभीरता प्रदर्शित करने का आह्वान किया. भारत लंबे समय से सुरक्षा परिषद में लंबित सुधार की जोरदार वकालत करने में अग्रणी रहा है.
विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘दो दशकों से हमने बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार की मांग सुनी है, लेकिन हमें लगातार निराशा ही हाथ लगी है. इसलिए, यह अनिवार्य है कि ब्रिक्स सदस्य देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सहित वैश्विक निर्णय लेने में सुधार के संबंध में गंभीरता प्रदर्शित करें. ” जयशंकर ने कहा कि देश जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं उनके केंद्र में आर्थिक गतिविधियां हैं जो बहुत से देशों को कुछ देशों की दयादृष्टि पर छोड़ देती हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘यह उत्पादन, संसाधनों, सेवाओं या कनेक्टिविटी के संबंध में हो सकता है. स्वास्थ्य, ऊर्जा और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करने वाले हाल के अनुभव केवल इस नाजुक स्थिति को उजागर करते हैं. ” उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं.
इन देशों के विदेश मंत्रियों की बृहस्पतिवार की बैठक अगस्त में जोहानिसबर्ग में होने वाले ब्रिक्स के शिखर सम्मेलन से पहले हो रही है. यह समूह वैश्विक आबादी के 41 प्रतिशत, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 24 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार के 16 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है.
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