The 3200 kilometer journey of Akhand Narmada Mai starts from where it ends and in the end the water is offered to Lord Omkareshwar Maharaj


अखंड नर्मदा माई की यात्रा 3200 किलोमीटर की यात्रा जहां से शुरू होती है. वहीं खत्म हो जाता है. आखिर में भगवान ओंकारेश्वर महाराज को जल चढ़ाया जाता है.  इस यात्रा को करने वाले नर्मदा माई के भक्त राजू पटेल से भी बात की. इनके साथ हुए कई बड़े चमत्कार के बारे में भी जानेंगे.

यह यात्रा 3 साल की भी होती आ रही है. यह यात्रा 13  साल 3 माह की भी होती है. कुछ लोग 108 दिन में भी पूरी करते है. नर्मदा माई के भक्त राजू पटेल ने बताया कि जो नर्मदा परिक्रमा एक यात्रा नहीं बल्कि आत्मा का पुनर्जन्म है. वैसे इस यात्रा को कई जगह से शुरू कर सकते है. लेकिन, दो जगह भी है जहां से इसकी शुरुआत होती है. यहां लोग अकसर अमरकंटक या ओंकारेश्वर से शुरू करते है. अमरकंटक से भी शुरुआत करेंगे तो भगवान ओंकारेश्वर के जल चढ़ाने आना पड़ेगा. इसलिए कई लोग ओंकारेश्वर से इसे यात्रा की शुरुआत करते हैं.

यात्रा है 3200 किलोमीटर
यह यात्रा 3200 किलोमीटर की होती है. यात्रा को कुछ लोग 108 दिन में भी पूरी कर लेते है. वहीं, कुछ लोग 3 साल में भी पूरी करते है. कुछ बड़े संत महात्मा होते है जो 13 साल 3 महीने  में भी पूरी करते है. यह नर्मदा परिक्रमा ऐसी यात्रा है.जो हमारे प्राचीन सनातन धर्म की ओर लेकर जाती है. नर्मदा परिक्रमा अखंड परिक्रमा होती है. इसमें नर्मदा जी को पार नहीं किया जा सकता है. यात्रा ओंकारेश्वर से प्रारंभ करते है, जो खलघाट , महेश्वर ऐसे बड़े बड़े तीर्थ नर्मदा के किनारे से होते हुए है. भरूच पहुंचते है यहां नर्मदा मैया समंदर में समाहित होती है. वहीं से नाव के द्वारा मीठी तलाई से होकर उत्तर तट पर पहुंचना पड़ता है. वहां पर भी नर्मदा को लांघना नहीं होता है. नर्मदा तट से होकर फ़िर अमर कंठक  और अमर कंठक से फिर उसी स्थान पर वापस आना होता है.जहां से नर्मदा परिक्रमा शुरू की थी. ओंकारेश्वर वापस आना पड़ता है. इस परिक्रमा को पूर्ण करना होता है.

FIRST PUBLISHED : November 9, 2024, 09:22 IST



Source link

x