The 9 gate bridge was built with the help of Jamwant in Sagar now the train leaves by blowing the horn – News18 हिंदी


अनुज गौतम/ सागर.मध्य प्रदेश के सागर के गलगल टोरिया में  इकलौता जामवंत जी का मंदिर है. उनके साथ हनुमान जी भी विराजमान हैं.यहां दोनों के एक साथ दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. जामवंत मंदिर की स्थापना को लेकर किवदंती है कि मंदिर के पास पहाड़ी के नीचे एक 9 द्वारी का पुल हैं. जो ब्रिटिश काल में बनवाया गया था. जब इसका निर्माण किया जा रहा था, तो उस समय इस ब्रज को जितना दिन भर में बनाया जाता था. वह रात भर में अपने आप टूट जाता था. सुबह जब इंजीनियर और मजदूर वहां पहुंचते थे. देखकर हक्के बक्के रह जाते थे. उन्हें कुछ समझ में नहीं आता था.लगातार चार-पांच दिन तक ऐसा ही चलता है.

एक दिन किसी को सपना आया. सपने में बताया कि यहां पास पहाड़ी पर प्रतिमा है. जिसकी पूजा अर्चना कर काम शुरू किया जाए तो निर्विघ्न संपन्न होगा. जब ब्रिज का काम करने वाले लोगों ने पहाड़ी पर जाकर देखा. वहां एक प्रतिमा थी.उन्होंने चबूतरा बनवाकर प्रतिमा को विराजमान किया. यहां पूजा अर्चन भी किया. प्रार्थना की अब इस पुल का निर्माण करने में जामवंत जी सहायता करें. इसके बाद कोई परेशानी नहीं हुई. यहां से जो भी ट्रेन या मालगाड़ी निकलती है.  हॉर्न बजाकर ही निकलती थी. यह परंपरा आज भी जारी है. वहीं अब इस चबूतरे ने भव्य मंदिर के रूप में आकार ले लिया है.

रेलवे देता था पूजन सामग्री
वही जामवंत जी की दिया बत्ती करने के लिए पुजारी भी लगाया गया. पूजन की सामग्री रेलवे उपलब्ध कराता था. लंबे समय तक ऐसा चलता रहा. मंदिर के पुजारी सालकराम नगाइच ने कहा  कि रेलवे में हुए पीढ़ी परिवर्तन की वजह से 10-15 सालों से यह परंपरा रुक गई.लेकिन अच्छी बात यह है कि यहां पर अब शनिवार व मंगलवार को सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां मेला लगता है, जिसकी वजह से यहां किसी प्रकार की कोई कमी नहीं रहती है.

जामवंत को भगवान ने त्रेता और द्वापर युग में दर्शन दिए
उन्होंने कहा कि शास्त्रों के अनुसार जो आठ पात्र अमर हैं. उनमें से एक रीछ राज जामवंत भी हैं. जिन्होंने त्रेता युग में रावण से युद्ध करने में भगवान राम के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. द्वापर युग में जब भगवान श्रीकृष्ण पर चोरी का आरोप लगा था. वह गुफा में खोई मणि को ढूंढने के लिए पहुंचे थे. यहां उन्होंने जामवंत जी से 6 महीने युद्ध किया था. कलयुग के राजा हनुमान जी के साथ जामवंत जी को भी अमरता का वरदान प्राप्त है. इस मंदिर में दोनों ही एक साथ दर्शन देते हैं. जामवंत जी की गुफाएं तो अलग-अलग जगह पर मौजूद हैं. लेकिन, उनके मंदिर देश में इक्का-दुक्का ही मिलते हैं. 9 द्वारी के पुल से जब भी कोई ट्रेन एक्सप्रेस मालगाड़ी गुजरती है तो हॉर्न बजाकर ही निकलती है जबकि इस इलाके में दूर-दूर तक ना तो कोई गांव है ना रेलवे क्रॉसिंग है और ना ही रेलवे फाटक है. उन्होंने कहा कि सागर मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर है, जो बहेरिया गढ़ाकोटा रोड पर गिरवर गांव और नयाखेड़ा के बीच में स्थित है. यहां पर स्टेट हाईवे निकला हुआ है, जिसकी वजह से मंदिर तक पहुंचाना बेहद आसान है.

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