The condition around Asia’s largest power plant Gudh Vadbar built in Rewa is in a bad state, the promises of the government are proving to be empty.


दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सोलर पॉवर प्लांट है. रीवा के इस अल्ट्रा मेगा सोलर पावर प्लांट को विश्व बैंक का प्रेसिडेंट अवार्ड भी मिल चुका है. यहां पर बन रही बिजली से दिल्ली मेट्रो भी चल रही है. हैरान करने वाली बात तो यह है कि सोलर प्लांट की स्थापना के समय कहा गया था. रोजगार का 70 प्रतिशत हिस्सा स्थानीय लोगों को दिया जाएगा. वहीं बचे हुए 30 प्रतिशत रोजगार में बाहर के लोगों की बहाली की जाएगी. यहां स्थानीय लोगों को इस सोलर प्लांट से मिला.

जमीन हकीकत काफी उलट है. यहां की जनता से किए गए सभी वादे कोरे साबित हुए. बिजली तो नहीं ही मिली बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी लोगों को तरसना पड़ रहा है. अधिग्रहण के बाद जमीन भी अब हाथ से जा चुकी है. अब कोई सुनने वाला नहीं है. जब यहां का शिलान्यास हुआ तो कहा गया था कि इन गांवों को गोद लेकर इनका विकास किया जाएगा. लेकिन सौर ऊर्जा की बिजली दिल्ली जाने लगी लोग बिजली के लिए मोहताज हैं.

लाइट नहीं मिली
सौर ऊर्जा से मुश्किल से 2 किलोमीटर दूर के लोगों को लाइट नहीं मिल रही है. यह हाल तब है जब गुढ़ की जनता को फ्री लाइट देने का वादा किया गया था. स्थानीय लोगों का आरोप है कि यहां पर कोलकाता और बिहार के लोग ऑफिसर बने बैठे हैं. हमारे गांव के लोग रोज सुबह 8:30 बजे से रात को 8 बजे तक मजदूरी करने शहर जााते हैं या सूरत गुजरात कमाने जा रहे हैं.

चौपट है शिक्षा व्यवस्था
यहां सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था बदहाल हो चुकी है. सरकारी स्कूलों में चले जाइए वहां कोई शिक्षा व्यवस्था नहीं है जितना पैसा सरकार सरकारी स्कूल में पैसा खर्च करती है, लेकिन इसका पूरा लाभ नहीं पहुंच पा रहा है. इतने बड़े सोलर प्रोजेक्ट के बाद भी इन गांवों में सुविधाओं की झड़ी नहीं लग पाई. जनमानस की आस अब टूट रही है.

मूलभूत सुविधाओं को मोहताज है गुढ़ क्षेत्र
जिस सोलर प्लांट से दिल्ली की मैट्रो दौड़ रही है. उस शहर और गांव के हालात खस्ताहाल हैं. रीवा के गुढ़ में लगे सोलर प्लांट से दुनिया भर में इसका नाम हुआ. शुयहां की सड़कें, बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर एशिया में अव्वल होगा. लेकिन अन्य गांवों की तरह यहां भी लोग मूलभूत सुविधाओं को मोहताज हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि विदेशी कंपनियां यहां फायदा कमा रही हैं लेकिन यहां के लोगों को सही ढंग से बिजली नहीं मिल रही हैं. इससे क्षेत्रिय रोजगार भी नष्ट हो रहा है.

25 साल का है एग्रीमेंट
स्थानीय लोगों ने कहा कि अब तो 25 साल के लिए यह एग्रीमेंट हो ही गया है. हम लोगों को तकलीफ कितनी भी हो लेकिन वह एग्रीमेंट खत्म नहीं हो सकता है. हम लोगों को यहां जिन समस्याओं से रोज रोज रूबरू होना पड़ रहा है उसका एक सर्वे गवर्नमेंट अपने स्तर से करा ले. उसके निराकरण के लिए सीएसआर मद के पैसे का उपयोग हो और यहां पर स्वास्थ्य की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए.

कंपनी आने से खुलते हैं रोजगार के रास्ते
जिन गांव में सोलर प्लांट लगा है वहां के लोगों का कहना है कि जब बाहर से आई कंपनी किसानों की जमीन में नया प्रोजेक्ट बनाती है तो लोगों के लिए रोजगार के रास्ते खुलते हैं. बच्चों को बेहतर शिक्षा मिलती है. इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर होते हैं और गांव का विकास होता है लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ. कंपनी एक्ट में सीएसआर मद के पैसे आते हैं लेकिन यहां उसका भी पता नहीं है कि कहां खर्च हो रहा है. एक पैसे का यहां कोई उपयोग नहीं हुआ शिक्षा के क्षेत्र में इन्होंने कोई बिल्डिंग नहीं बनाई.

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