The Countrys First Future Woman Chief Justice BV Nagarathna Told NDTV, How To Balance Career And Family. – देश की पहली भावी महिला मुख्य न्यायाधीश BV Nagarathna ने NDTV को बताया, करियर और परिवार के बीच कैसे बनाया संतुलन
खास बातें
- जस्टिस बी वी नागरत्ना ने NDTV से की खास बातचीत
- देश की न्यायपालिका में लंबे समय तक पुरुष प्रधान स्थान रहा: नागरत्ना
- मेरे परिवार ने मेरा बहुत समर्थन किया: नागरत्ना
बेंगलुरु:
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी वी नागरत्ना (Supreme Court judge Justice BV Nagarathna) ने आज एनडीटीवी से विशेष बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि देश की न्यायपालिका में भूमिका निभाने के लिए अधिक महिलाएं आगे आ रही हैं, जो कभी पुरुष प्रधान स्थान हुआ करता था. आज सुबह, उन्होंने अपने पिता और भारत के 19वें मुख्य न्यायाधीश ईएस वेंकटरमैया की स्मृति में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु में एक व्याख्यान में भाग लिया. स्मारक व्याख्यान भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा दिया गया.
एनडीटीवी के आशीष भार्गव से विशेष बातचीत करते हुए, 61 वर्षीय जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि जब वह न्यायपालिका में अपना करियर जारी रखने के लिए दृढ़ थीं, तो उन्हें नहीं पता था कि वह जज बनेंगी और सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत होंगी. उन्होंने कहा कि “जैसे-जैसे साल बीतते गए, यह स्पष्ट होता गया और सपने पूरे होते गए.”
अपने न्यायिक करियर की शुरुआत में अपने पिता की सलाह पर, जस्टिस नागरत्ना ने कहा, “वह हमेशा मुझसे कहते थे कि कल के काम आज और आज के काम अभी खत्म करो… क्योंकि एक वकील कभी नहीं जानता कि उसे कब कानूनी सलाह देने की आवश्यकता होगी. एक और सलाह दी थी कि जब मामले बुलाए जाते हैं तो उसे (वकील) हमेशा अदालत में उपस्थित रहना होता है. यदि वकील उपस्थित नहीं है, तो न्यायाधीश को लग सकता है कि उसे कोई दिलचस्पी नहीं है. इसलिए वकील को उपस्थित रहना चाहिए और तैयार रहना चाहिए.”
देश की पहली भावी महिला मुख्य न्यायाधीश जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि देश की न्यायपालिका में लंबे समय तक पुरुष प्रधान स्थान रहा है. महिलाओं को उस क्षेत्र में काम करना मुश्किल लगता था. लेकिन कई महिलाएं अब उन बाधाओं को पार कर रही हैं और आगे आ रही हैं. अब, जिला न्यायपालिका स्तर पर, 50 प्रतिशत से अधिक न्यायाधीश महिलाएं हैं. अब कानूनी प्रैक्टिस में भी कई महिलाएं हैं.
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए काम और परिवार के बीच संतुलन बनाना होगा. “मैं बहुत भाग्यशाली हूं क्योंकि परिवार ने मेरा बहुत समर्थन किया. मेरे पति, बीएन गोपालकृष्ण और मेरी बेटियां नयनतारा और प्रेरणा ने बहुत पहले ही समझ लिया था कि मेरा काम बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि हम दूसरों को न्याय दिलाना चाहते हैं. उन्होंने बहुत सहयोग किया है.”
जस्टिस नागरत्ना ने कहा, “एक कहावत है कि हर सफल पुरुष के पीछे एक महिला होती है. लेकिन मैं कहूंगी कि हर सफल महिला के पीछे एक परिवार होता है. इसलिए मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मेरे परिवार ने मेरा बहुत समर्थन किया.”
कानून में करियर बनाने की इच्छा रखने वाली युवा महिलाओं को वह क्या सलाह देंगी, इस पर न्यायाधीश ने कहा, “अधिक महिलाओं को इस पेशे में आना चाहिए और यह तय करना चाहिए कि काम और परिवार के बीच समय कैसे बांटना है. लेकिन उनको पति- बच्चों और कानून सभी पर ध्यान देने की जरूरत है ” उन्होंने कहा कि अगर महिला वकील को उनके परिवारों से समर्थन मिले, तो अधिक महिला जज होंगी.
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