The Dispute Between Amul And Nandini Milk Has Now Reached Madhya Pradesh, Here The War Over Sanchi – अमूल और नंदिनी दूध के बीच चला विवाद अब मध्य प्रदेश पहुंचा, यहां साँची को लेकर जंग
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अमूल और नंदिनी दूध के बीच चला विवाद अब मध्य प्रदेश पहुंच गया है.
भोपाल:
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के वक्त अमूल और नंदिनी दूध के बीच चला विवाद अब मध्य प्रदेश पहुंच गया है. मध्य प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने चुनाव के पहले आरोप लगाया है कि मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार अमूल दूध को बड़ा बाज़ार देने के लिए प्रदेश के साँची दूध को बर्बाद कर रही है. राज्य सरकार का कहना है कि साँची का कारोबार लगातार बढ़ रहा है. आरोप पूरी तरह निराधार हैं.
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मुगालिया हाट में रहने वाले प्रहलाद के पास 4 गाय हैं, लेकिन अब साँची उनका ग्राहक नहीं. प्रहलाद सेन ने बताया कि रेट की वजह से श्रीधी में दूध देना पड़ा. साँची में कम रेट मिल रहा है. 5-7 रु. लीटर का अंतर है. अभी साँची में 30-32 रुपये मिलता था. श्रीधी में 40 रुपये से कम नहीं मिलता. इसलिये सांची को हम दूध नहीं दे रहे हैं.
आपको बता दें कि सांची मध्य प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव डेरी फेडरेशन के उत्पादों का ब्रांड नाम है. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के पास मुगालिया हाट गांव के इन दुग्ध किसानों की बात अगर मानी जाए तो ये सब एक सुर में एक ही बात कह रहे हैं कि साँची को दूध बेचने में इन्हें सही कीमत नहीं मिलती है. मुगालिया हाट गांव में एक छोर पर साँची दुग्ध संघ का कलेक्शन सेंटर बना है, लेकिन यहां लगे चिलिंग प्वाइंट पर दूध का कंटेनर लगभग खाली है, कभी दिन में दो बार यहां साँची का टैंकर आकर दूध ले जाता था.
फूलसिंह ने बताया कि किसान साँची पर औऱ सहकारिता पर विश्वास करता था, लेकिन अब प्राइवेट कंपनियां ज्यादा पैसा दे रही हैं. चार-पांच रुपये प्रति लीटर का अंतर है. जितेन्द्र धनगर बताते हैं कि वह पहले साँची में ही दूध देते थे. यहां पैसे कम मिलते हैं, इसलिये अमूल डेरी में देना शुरू कर दिया. 42 रुपये अमूल में मिलता है. साँची में 32 रुपये मिलता था. अमूल डेरी से किसानों को फायदा हुआ है.
किसानों का कहना है कि मध्य प्रदेश डेयरी फेडरेशन फैट के लिहाज से 28 से 40 रुपये लीटर तक कीमत दे रहा है, जिसे सालों से बदला नहीं गया, वहीं निजी कंपनियां 38 से 45 रुपये लीटर तक का पेमेंट कर रही हैं. विपक्ष आरोप लगा रहा है कर्नाटक में नंदिनी ब्रांड का किस्सा मध्य प्रदेश में दुहराया जा रहा है. नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह का कहना है कि हमें ऐसा लग रहा है अगर यही हालात रहे तो एक साल के अंदर साँची दूध, साँची पेड़ा, साँची दही, साँची पनीर… ये सब बाज़ार में देखने को नहीं मिलेंगे. पूरा गुजरात हावी होकर गुजरात को मालामाल करने की योजना है और एमपी को लुटवाने की साजिश है.
मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया का कहना है कि साँची लगातार फायदे में है. प्रोडक्ट लगातार बढ़ रहे हैं. अमूल इस देश का नहीं पूरी दुनिया का सहकारिता समूह है. कम से कम डेढ़ सौ देशों में अमूल के पदार्थ जाते हैं. अमूल भी तरक्की करे. साँची भी तरक्की करे. मध्य प्रदेश भी भारत का हिस्सा है.
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