The Kavach Didnt Work Because…: Railways Explains Cause Of Odisha Train Tragedy – कवच ने काम नहीं किया क्योंकि … : रेलवे ने ओडिशा ट्रेन हादसे का कारण समझाया
रेलवे ने बताया कि बालासोर का बहानागा बाजार स्टेशन, जहां यह भीषण दुर्घटना हुई, एक चार-लाइन वाला स्टेशन है. यहां बीच में दो मुख्य लाइनें और दोनों तरफ दो लूप लाइनें हैं. दोनों लूप लाइनों पर आयरन ओर से लदी मालगाड़ियां चलती हैं.
रेलवे बोर्ड की सदस्य (संचालन और बीडी) जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस चेन्नई से हावड़ा जा रही थी और बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस हावड़ा से आ रही थी. दोनों मुख्य लाइनों पर सिग्नल ग्रीन थे. कोरोमंडल एक्सप्रेस 128 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से जा रही थी और दूसरी पैसेंजर ट्रेन 126 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी. सीमा 130 किलोमीटर प्रति घंटे की है, इसलिए उनमें से कोई भी ओवरस्पीडिंग में नहीं थी.
उन्होंने कहा कि, एक सिग्नलिंग समस्या का पता चला था. आगे की जांच के बाद ही विवरण सामने आएगा. उन्होंने कहा कि इतनी तेज गति पर प्रतिक्रिया का समय बहुत कम था. उन्होंने कहा कि, “एक सिग्नलिंग इंटरफिएरेंस था.” उन्होंने कहा कि इसे विफलता कहना सही नहीं होगा. रेलवे बोर्ड ने बार-बार रेल मंत्री के इस दावे को दोहराया कि यह केवल प्रारंभिक निष्कर्ष हैं और औपचारिक जांच पूरी होने तक कुछ भी ठोस रूप से नहीं कहा जा सकता है.
जया वर्मा सिन्हा ने बार-बार जोर देकर कहा कि केवल एक ट्रेन, कोरोमंडल एक्सप्रेस दुर्घटना की शिकार हुई, तीन नहीं, जैसा कि कथित तौर पर अनुमान लगाया गया था.
जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि, “किसी कारण से यह ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई, इंजन और कोच दूसरी ट्रेन पर चढ़ गए.” उन्होंने समझाया कि यह ट्रेन लूप लाइन में खड़ी लौह अयस्क से भरी एक मालगाड़ी से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई. उन्होंने दावा किया कि टक्कर होने पर मालगाड़ी ने झटके झेल लिए क्योंकि यह बहुत भारी थी. सिन्हा ने कहा कि कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे तीसरे ट्रैक पर फिंक गए और हावड़ा से तेज गति से आ रही ट्रेन के दो डिब्बों में जा घुसे.
उन्होंने कहा, “लिंके हॉफमैन बुश (एलएचबी) कोच थे, जो बहुत सुरक्षित हैं.” उन्होंने कहा कि लौह अयस्क के कारण नुकसान अधिक हुआ.
रेलवे ने कहा है कि स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली “कवच” उस मार्ग पर उपलब्ध नहीं थी, जहां शुक्रवार की शाम को दुर्घटना हुई.
सिन्हा ने “कवच” के न होने पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सवाल को खारिज करते हुए रेल मंत्री के दावे को दोहराया कि दुर्घटना का कवच से कोई लेना-देना नहीं था क्योंकि यह इस तरह की दुर्घटना को टालने में मददगार नहीं होता. उन्होंने वाहनों के सामने बोल्डर के अचानक गिरने का उदाहरण देते हुए कहा कि, दुनिया की कोई भी तकनीक कुछ दुर्घटनाओं को नहीं रोक सकती.
जब कोई लोको पायलट एक सिग्नल (सिग्नल पास एट डेंजर – SPAD) पार करता है तो सिस्टम अलर्ट करता है. इसकी अनदेखी ट्रेनों में टक्कर होने के प्रमुख कारणों में से एक है. जब उसी लाइन पर एक निर्धारित दूरी के भीतर दूसरी ट्रेन होने पर सिस्टम लोको पायलट को सतर्क कर सकता है, ब्रेक पर नियंत्रण कर सकता है और ट्रेन को स्वचालित रूप से रोक सकता है.
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