The litchi of this Eidgah is the first in the district to be red, even scientists could not find out the secret behind it. – News18 हिंदी


ऋतु राज/मुजफ्फरपुर: वैसे तो पूरे मुजफ्फरपुर को लीचीयों के उत्पादन के लिए जाना जाता है. मुशहरी, बांद्रा, कांटी इन सभी जगहों पर लीची अधिक होती है. अभी तो लीची का सीजन भी आ चुका है. लीची के लिए जिले में राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र भी है. इस बार अधिक धूप पड़ने के कारण लीची का सीजन लेट है. बावजूद आपको जानकर हैरानी होगी कि मुशहरी जैसे इलाको में जहां लीची की किसानी अधिक होती है. वहां की लीची अभी तक हरी है. लेकिन शहर के गौशाला रोड स्थित बड़ी ईदगाह की लीची लाल हो चुकी है. बताया जाता है पूरे जिले में सबसे पहले इस ईदगाह में लगे बगान की लीची लाल होती है. यहां की लीची सबसे अधिक मीठी होती है. पूरे जिले में सबसे पहले यहीं लीची की तुड़ाई भी होती है. उसके बाद ही कहीं लीची की किसान तुड़ाई करवाते हैं.

बगान के किसान मोहम्मद शाहनवाज ने लोकल 18 को बताया की यह किसी कुदरत के करिश्में से कम नहीं है. पूरे जिले में सबसे पहले यही की लीची लाल होती है और सबसे पहले यहीं की लीची की तुड़ाई की जाती है. कई वैज्ञानिक और कई रिसर्च कम्पनी भी यहां आकर इसके बारे में रिसर्च कर के गई. फोटो भी लिया, कई बातो को समझा भी. लेकिन आज तक यह पता नहीं चल पाया की आखिर कैसे यहां की लीची सबसे पहले लाल हो जाती है.

ईदगाह के जरूरतों में लगता है लीची का पैसा
अन्य जगहों के लीची के मुकाबले यहां की लीची 15 से 20 दिन आगे चलती है. आगे मो शाहबाज बताते है की यहां से लीची तुड़ाई होने के बाद मार्केट में जाती है. यहां के कुछ परमानेंट व्यापारी भी है. जो बीते कई सालो से इसे खरीदते आ रहे है और सबसे खास बात यह है की यहां के लीची से जो भी पैसा आता है. वह ईदगाह कमेटी के पास जमा होता है और इसे ईदगाह के जरूरतों और काम काजो में लगाया जाता है.

FIRST PUBLISHED : May 8, 2024, 21:57 IST



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