The Stubble Held Responsible For Delhis Pollution Is Enriching The Farmers Of Punjab
खेतों में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण के लिए अक्सर पंजाब के किसानों को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है.
गुरदासपुर के रहने वाले पलविंदर सिंह उन किसानों में शामिल हैं, जिन्होंने पिछले साल एक ‘बेलर’ खरीदा और फिर उसके जरिए पराली के गट्ठर बनाकर उन्हें कारोबारियों को बेचना शुरू किया.
बेलर, कृषि क्षेत्र में उपयोग की जाने वाली एक मशीन है, जो ट्रैक्टर से जुड़ी होती है और खेतों में पराली समेट कर उसके गठ्ठर बना देती है.
बिजली बनाने वाली कंपनी को पराली की आपूर्ति
पलविंदर ने कहा, ‘पिछले साल हमने 1,400 टन पराली बेची थी और इस साल हम 3,000 टन पराली बेचने की उम्मीद कर रहे हैं.’ वे आस-पास के गांवों से पराली इकट्ठा करते हैं और फिर पठानकोट में एक बिजली उत्पादन कंपनी को उसकी आपूर्ति करते हैं.
पलविंदर ने कहा कि उन्होंने और उनके सहयोगियों ने एक साल के भीतर अपने निवेश की सारी रकम प्राप्त कर ली है और इस साल 15 लाख रुपये का कारोबार होने की उम्मीद है. वह 180 रुपये प्रति क्विंटल की दर से पराली बेचते हैं.
बेलर की मदद से धान की पराली से कमाई
मलेरकोटला के गुरप्रीत सिंह एक और किसान हैं, जो बेलर की मदद से धान की पराली से कमाई कर रहे हैं. गुरप्रीत ने कहा, ‘पिछले साल मैंने 20 लाख रुपये की पराली बेची और सभी तरह के खर्चों को घटाने के बाद सात-आठ लाख रुपये बचाए.’ उन्होंने पिछले साल 1,200 टन पराली बेची थी और इस साल उनका लक्ष्य 5,000 टन पराली बेचने का है.
मालेरकोटला के फिरोजपुर कुथला गांव में 10 एकड़ कृषि भूमि के मालिक गुरप्रीत ने कहा, ‘इस साल, हमारी योजना जनवरी और मार्च के बीच बेचने के लिए कुछ पराली का भंडारण करने की है. साल के उन शुरुआती महीनों में इसकी कीमत 280-300 रुपये प्रति क्विंटल तक हो जाती है.’ उन्होंने कहा कि अभी पराली की कीमत 170 रुपये प्रति क्विंटल है.
किसानों को पराली जलाने से रोका
गुरप्रीत सिंह ने कहा कि उन्होंने पिछले साल 600 एकड़ भूमि पर किसानों को पराली जलाने से रोका. उन्होंने कहा, ‘इस साल, हम 2,000 एकड़ से अधिक भूमि पर इसे जलाने से रोकेंगे.’
बायोमास संयंत्रों, पेपर मिलों और बॉयलर द्वारा पराली की बढ़ती मांग के कारण राज्य में कई किसान ‘बेलर’ खरीद रहे हैं.
अक्टूबर और नवंबर महीने में पंजाब एवं हरियाणा में पराली जलाए जाने की वजह से राष्ट्रीय राजधानी में हाल के वर्षों में वायु प्रदुषण में काफी वृद्धि देखने को मिली है.
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