These Candidates Have The Highest Liabilities In The Second Phase Of Lok Sabha Elections – लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में हर तीसरा उम्मीदवार करोड़पति, सबसे ज्यादा कर्ज कांग्रेसियों पर


डी.के. सुरेश पर सबसे ज्यादा कर्ज

लोकसभा चुनावों के दूसरे चरण में 593 करोड़ की घोषित संपत्ति के साथ कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री, डी.के. शिवकुमार के भाई डी.के.सुरेश दूसरे सबसे अमीर उमीदवार हैं. लेकिन सबसे ज़्यादा कर्ज डिक्लेअर करने वाले उम्मीदवारों में डी.के. सुरेश नंबर वन पर हैं. इलेक्शन वॉच ADR द्वारा जारी समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक लोक सभा चुनाव के दूसरे चरण में बेंगलुरु रूरल सीट से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस उम्मीदवार डी.के.सुरेश ने अपने शपथ पत्र में सबसे ज्यादा 150 करोड़ का कर्ज घोषित किया है.

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3 उम्मीदवारों पर करीब 300 करोड़ का क़र्ज़

मध्य प्रदेश की होशंगाबाद सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार संजय शर्मा 98 करोड़ के कर्ज के साथ दूसरे नंबर पर हैं. जबकि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और मांड्या सीट पर जनता दल (सेक्युलर) उम्मीदवार एच.डी.कुमारास्वामी 82 करोड़ के कर्ज के साथ तीसरे नंबर पर हैं. यानी इन 3 अमीर उम्मीदवारों पर करीब 300 करोड़ रुपये का क़र्ज़ है.

कर्ज में क्या-क्या शामिल

इलेक्शन वॉच के हेड अनिल शर्मा ने एनडीटीवी से कहा कि 10 सबसे ज्यादा कर्ज डिक्लेअर करने वाली उम्मीदवारों में चार कांग्रेस के हैं, चार बीजेपी के और एक JD(S) का है. आमतौर पर ज्यादा कर्ज उन उम्मीदवारों पर होता है जिनका बिजनेस बैकग्राउंड होता है. कर्ज में बैंक से लिया गया बिजनेस लोन, पर्सनल लोन, सरकारी सेवाओं की बकाया राशि जैसे टेलीफोन बिल, वॉटर बिल, इलेक्ट्रिसिटी का बिल, घर का किराया, GST,  सर्विस टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स — ये सारी चीज़ें उम्मीदवारों को डिक्लेअर करनी होती है.

कांग्रेस उम्मीदवार दूसरे चरण के सबसे अमीर उम्मीदवार

दूसरे चरण में चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों में सबसे अमीर कर्नाटक की मांड्या सीट से कांग्रेस उम्मीदवार वेंकटरमने गौड़ा ने 622 करोड़ की संपत्ति घोषित की है. लेकिन उन्होंने 24 करोड़ का कर्ज डिक्लेअर किया है. दस सबसे ज्यादा कर्ज वाले उम्मीदवारों में केरल के थिरुवनंतपुरम से बीजेपी उमीदवार और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर 21 करोड़ के घोषित कर्ज के साथ नवें नंबर पर हैं.

अनिल वर्मा ने कहा कि औसतन 40% to 50% उम्मीदवार अपने सेल्फ- डिक्लेरेशन में कर्ज डिक्लेअर करते हैं. उम्मीदवारों को अपने कर्ज के साथ-साथ जीवनसाथी और आश्रितों का कर्ज भी डिक्लेअर करना होता है. कर्ज डिक्लेअर करने से चुनावी प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी होती है और मतदाताओ के पास पूरी जानकारी होती है कि उनके उम्मीदवारों की वित्तीय हालत क्या है, उनकी असेट्स कितने हैं, कमाई का जरिया क्या है और उन पर कर्ज का कितना बोझ है.

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