This is a new method of cyber fraud be careful when you hear About something crime and case


हैल्लो…. हां जी.. मैं साइबर क्राइम से प्रतीक (काल्पनिक नाम) बोल रहा हूं. क्या मेरी बात बस्ता पैक के मालिक शिवम (काल्पनिक नाम) से हो रही है. दूसरे व्यक्ति ने बोला जी हां. आपके खिलाफ कई थानों में पैसों की लेन और अलग-अलग मामलों में केस दर्ज है. बात करने वाले शख्स ने कहा कि अरे सर मैंने ऐसा कुछ नहीं किया है. फोन पर बात करने वाले एसपी ने कहा कि हां मैं समझ सकता हूं कि आपने ऐसा नहीं किया होगा. लेकिन अब ये मामला काफी हाई प्रोफाइल है और ऐसा कई लोगों के साथ हो चुका है. अब मैं जैसा आपको कहता हूं ऐसा ही करना है और घर में भी किसी को इस बार में नहीं बताना है. क्योंकि इससे जांच में दिकक्त आएगी और आप फंस सकते हैं. जी सर, बिल्कुल. एबीपी न्यूज आपसे कहता है कि अगर कभी ऐसा कोई फोन आता है, तो आपको सतर्क रहना है. 

क्या है मामला

बता दें कि इंटरनेट और स्मार्टफोन के इस जमाने में किसी का नंबर और डेटा पाना काफी आसान हो चुका है. साइबर ठग इसी का फायदा उठाते हैं. साइबर ठग अब हर दिन अलग-अलग तरीके से लोगों को ठग की कोशिश कर रहे हैं. अभी हाल ही में कई ऐसे मामले आए हैं, जहां पर साइबर ठग खुद को साइबर क्राइम का एसपी बताकर लोगों को ठगने की कोशिश किया है. 

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कैसे करते हैं ठगी

साइबर ठगों के झांसे में आकर आम आदमी डर जाता है. पुलिस का डर वैसे भी आम इंसान को होता है. ठग इसी पुलिस की डर का फायदा उठाते हैं. इसके बाद केस को सुलझाने के लिए ठग आम इंसान से कहते हैं कि आपके किस खाते में कितना कितना पैसा है, क्योंकि बाकी सभी खाते बंद होने वाले हैं. अगर आपने गलती नहीं कि है तो सभी पैसों को एक खाते में डालकर छोड़ दीजिए. जिससे पुलिस को जांच में सहयोग मिल सके. जब कुछ दिनों की इस बातचीत में आम इंसान उनके झांसे में फंस जाता है, फिर वो किसी बहाने खाते का सारा डिटेल मांग लेते हैं और खाता खाली कर देते हैं. आसान भाषा में समझिए कि साइबर ठग विश्वास जीतकर खुद को पुलिस वाला बताकर आपकी मदद करने का दिखावा करते है, जिसके बाद खाता खाली कर देते हैं. 

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कैसे बचे? 

साइबर क्राइम से बचने का सबसे पहला तरीका है कि कभी किसी भी इंसान को अपना अकाउंट डिटेल नहीं बताना चाहिए इतना ही नहीं कोई पुलिस अधिकारी अगर फोन, कॉल करता है तो सीधे उसकी शिकायत लेकर नजदीकी पुलिस स्टेशन में जाना चाहिए, जिससे आपको सच का पता चल जाता है. इसके अलावा कोई अगर खुद को किसी खुफिया विभाग का अधिकारी बताता है, तो भी जब तक आप उस एजेंसी के ऑफिस नहीं जाते हैं और पुलिस को इसकी जानकारी नहीं देते हैं, तब तक किसी भी तरफ के जांच के सहयोग वाले झांसे में नहीं फंसना चाहिए. इसके अलावा एक बात हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी अधिकारी आपसे आपके बैंक का डिटेल बिना किसी परमिशन के नहीं मांग सकता है और फोन पर कोई ओटीपी तो बिल्कुल भी नहीं मांग सकता है. ऐसा मांगने वालों से तुरंत सावधान होकर फोन काट देना चाहिए और इसकी शिकायत साइबर क्राइम में करना चाहिए. 

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