This rule has to be followed before leaving the excreta after the Yajnopavit Sanskar – News18 हिंदी


 शशिकांत ओझा/पलामू.हिंदू धर्म के कई आस्था और मान्यता होती है.वहीं, इस धर्म में किसी के जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कार होते है. इन संस्कार में से एक संस्कार यज्ञोपवीत संस्कार(जनेऊ) होता है.मगर क्या आप जानते है ये संस्कार क्यों होता है. इस संस्कार के होने के बाद पुरुष को कई प्रकार के बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है.

दरअसल, यज्ञोपवीत संस्कार किसी भी पुरुष के शरीर को पवित्र करने के लिए किया जाता है. जिस प्रकार मां के गर्भ से जन्म होने के पश्चात शिशु का छठी किया जाता है. उसी प्रकार पुरुष के बड़े होने पर शास्त्रीय और सामाजिक प्रकरण से पवित्र किया जाता है. इसी प्रक्रिया को यज्ञोपवीत संस्कार कहते है.पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर रेड़मा समीप स्थित काली मंदिर के पुजारी श्यामा बाबा ने लोकल18 को बताया कि इस संस्कार का पुरुष के जीवन में बहुत महत्व है.जिसके बाद मनुष्य का शरीर पवित्र हो जाता है.

यज्ञोपवित के बाद पुरुष पूरी तरह हो जाता है पवित्र
शास्त्रों में कहा गया है कि यत्योपवित्रम् परम् पवित्रम् जिसका शाब्दिक अर्थ है कि यज्ञोपवित के बाद पुरुष पूरी तरह पवित्र हो जाता है. जिसके बाद ये उसे संस्कार की ओर ले चलता है.इसे गायत्री मंत्र के द्वारा धारण कराया जाता है. इसके साथ साथ इस दौरान मुंडन कराया जाता है. जिसका कारण है कि जन्म के बाद शरीर में नाना प्रकार के रोम होते है. जो अशुद्ध माने जाते है. इस कारण शुद्धता की प्रक्रिया के दौरान इसे पूरी तरह हटा दिया जाता है.

तीन धागे में होता है ब्रह्मा विष्णु महेश का वास
यज्ञोपवीत में तीन धागा होता है. जिसकी मान्यता है कि इन धागों में ब्रह्मा विष्णु महेश का वास होता है. जिसमें सात्विक, तामसी और अन्य शक्तियां समाहित होती है.यज्ञोपवित संस्कार के बाद मनुष्य को सत्य पथ पर चलना चाहिए. वहीं, इस संस्कार के हो जाने के बाद यज्ञोपवीत को कानों पर लगाया जाता है तब जाकर मल मूत्र का त्याग किया जाता है.इससे हमारी इंद्रियां एकत्रित हो जाती है.इसीलिए हमें सावधानी से इसका इस्तेमाल किया जाता है.उन्होंने कहा की इसे तीन बार कान पर इसीलिए लगाया जाता है. क्योंकि तीन बार लगाने के बाद यज्ञोपवीत नाभी कमल तक आ जाता है.जिससे इसकी शुद्धता बनी रहती है.मान्यता है की पुरुष के नाभी से नीचे अशुद्ध स्थान है. वहीं अगर यज्ञोपवीत नाभी से नीचे रहा तो वो भी अशुद्ध हो जायेगा.

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