This unique Prasad is available only 1 day in a year, it is very dear to the gods. – News18 हिंदी



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अनुज गौतम/सागर : भगवान के “प्रसाद” के बारे में तो सभी जानते हैं क्योंकि प्रसाद लोगों को कहीं भी, कभी भी, किसी भी मंदिर या अन्य जगहों पर आसानी से मिल जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान का एक प्रसाद ऐसा भी होता है जो साल के 365 दिन में से मात्र 1 दिन ही श्रद्धालुओं को बड़ी मुश्किल से मिल पाता है.

जी हां, हम “मालपुए” की बात कर रहे हैं. यह मालपुए देवों के अति प्रिय होते हैं और यह विशेष अवसर पर ही बनते हैं. यह बेहद ही स्वादिष्ट होते हैं. भगवान को भोग लगाने के बाद लोग इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं. सागर में यह प्रसाद आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीय यानी की रथ दूज के अवसर पर ही मिल पाता है.

200 मी. में लगती है दुकानें
मिनी वृंदावन के नाम से मशहूर सागर के बड़ा बाजार इलाके में रथ दूज के अवसर पर 200 मीटर जगह में 50 से अधिक दुकानें सजती हैं, जिसमें वह आंखों के सामने ही गेहूं के घोल में गुड़ मिलाकर उसे शुद्ध घी में तलते है. इस प्रसाद को लेने के लिए भक्तों की भीड़ दुकानों पर लगी रहती है. काफी महंगा होने के बाद भी लोगों में प्रसाद खरीदने की होड़ लगी रहती है. श्रद्धालु अपनी-अपनी क्षमता के अनुसार बाजार से मालपुए अपने घर ले जाते हैं, रिश्तेदारों को भी भेजते हैं.

प्रसाद में मालपुए ले जाते हैं घर
बता दें कि मंगलवार को भगवान जगन्नाथ स्वामी अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ में सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकले थे. बड़ा बाजार में देव श्री अटल बिहारी सरकार, देव श्री बांके बिहारी राघव सरकार, श्री राधा कृष्ण भगवान, रामबाग मंदिर श्री देव जानकी रमण मंदिर, बांके बिहारी लाल जी सरकार सहित करीब 12 मंदिरों से भगवान अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए निकलते हैं. रथ यात्रा को देखने के लिए शहर-शहर अन्य क्षेत्रों के लोग पहुंचते हैं और प्रसाद के रूप में मालपुए घर ले जाते हैं.

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