This yoga teacher from Bharatpur teaches the art of ‘mid brain activation’ to children and has trained many children so far


मनीष पुरी/भरतपुर:- भरतपुर के बयाना की रहने वाली एक योगा टीचर महिला बच्चों को ‘मिड ब्रेन एक्टिवेशन’ कला सिखाती है. योगा टीचर का कहना है कि अब तक उन्होंने कई बच्चों को यह कला सिखा दी है. इस कला में बच्चे आंखों पर पट्टी बांधकर कौन सी चीज कहां पर रखी है, बता देते हैं. इसके अलावा वह आंखों पर पट्टी बांधकर किताब भी पढ़ लेते हैं, साइकिलिंग कर लेते हैं. योगा टीचर तारा कुमारी इन बच्चों को 6 महीने से ट्रेनिंग दे रही हैं.

योगा टीचर का कहना है कि यह एक जापानी तकनीक है, जिससे बच्चों को योगा के रूप में मेडिटेशन करती हैं. योगा टीचर और बच्चों का कहना है कि वह आंखों पर पट्टी बांधकर किसी भी किताब को पढ़ लेते हैं, रंग को भी बता देती हैं. फोन में उभरे हुए चित्र को बता देते हैं, दीवार के आर-पार क्या रखा है, वह बता देते हैं. योगा टीचर लोकल 18 को बताती हैं कि हम बच्चों को 20 मिनट इसकी ट्रेनिंग देते हैं. उसके बाद यह बच्चे अपने आप ही आंखों पर पट्टी बांधकर चल फिर सकते हैं और वस्तुओं को बता सकते हैं.

इस कला का ये है नाम
योगा टीचर तारा ने Local 18 को बताया कि इस कला को ‘मिड ब्रेन एक्टिवेशन’ या ‘थर्ड आई एक्टिवेशन’ कहा जाता है, जो एक जापानी तकनीक है. इसके लिए एक अलग तरह की ट्रेनिंग होती है. इस कला से बच्चों की पढ़ाई पर भी काफी अच्छा असर देखने को मिलता है. इस प्रक्रिया से बच्चों का कॉन्फ़िडेंस लेवल बढ़ने के साथ एनर्जी क्रिएट होती है, पढ़ाई में अच्छा मन लगता है, वह चीजों को याद रखते हैं. इससे बच्चों की पांचों इंद्रियां जागृत होती हैं और याददाश्त बढ़ती है और आईक्यू में भी सुधार होता है.

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सीखने की होती है एक उम्र
योगा टीचर बताती हैं कि इस कला को हर व्यक्ति कर सकता है. सिखने की उम्र का दायरा होता है, जिसमें 6 वर्ष से 15 वर्ष तक के बच्चे आराम से इस कला को सीख सकते हैं. अब तक उनके पास लगभग 15 से 20 बच्चे ट्रेनिंग लेते आते हैं, जिसमे किट्टू मधुकर पुत्र बॉबी मधुकर मात्र 3 साल का बच्चा है. वह भी इस कला को सीख रहा है. इसके अलावा श्रेयांशी सोनी 8 साल की है, जो साइकिल चला लेती है और कनिक, जयराम नोटों को सुंघकर उनका रंग बता देते हैं और आंखों पर पट्टी बांधकर किताबें पढ़ लेते हैं.

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