Three criminal laws What has changed in the law regarding arrest of elderly people


Three Criminal Laws: देश में एक जुलाई से आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहितासीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य संहिता लेने वाले हैं. इन तीन कानूनों के चलते देश के लॉ सिस्टम में काफी कुछ बदलने वाला है. जिसके तहत हथकड़ी से लेकर एफआईआर, भगोड़े आरोपियों पर केस चलाने से लेकर बुजुर्गों की गिरप्तारी में भी काफी कुछ बदलाव देखने को मिलेगा. तो चलिए जानते हैं कि आखिर तीन नए कानूनों के आने से क्या कुछ बदलेगा?

बुजुर्गों की गिरफ्तारी को लेकर कानून में हुआ ये बदलाव

वैसे तो गिरफ्तारी के नियमों में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं किया गया है. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 35 में एक नया सब सेक्शन 7 जोड़ा गया है. इससे छोटेछोटे अपराधियों और बुजुर्गों की गिरफ्तारी को लेकर नियम बनाया गया है.

धारा 35 (7) के अनुसार, ऐसे अपराध जिनमें तीन साल या उससे कम की सजा का प्रावधान है. उनमें आरोपी की गिरफ्तारी से पहले DSP या फिर उससे ऊपर की रैंक के अफसर की अनुमति लेनी होगी. वहीं यदि आरोपी की उम्र 60 साल या उससे ज्यादा है तो उसकी गिरफ्तारी के लिए भी यही नियम लागू होगा

पुलिस कस्टडी को लेकर हुई सख्ती

नए कानून में पुलिस कस्टडी को लेकर भी सख्ती की गई है. अब तक आरोपी को गिरफ्तार करने के तारीख से ज्यादा से ज्यादा 15 दिनों के लिए पुलिस कस्टडी में भेजा जा सकता था. उसके बाद आरोपी को कोर्ट में पेश किया जाता था जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया जाता था, लेकिन नए कानून के मुताबिक, किसी आरोपी की गिरफ्तारी के 60 से 90 दिनों के अंदर किसी भी समय 15 दिनों की कस्टडी मांग सकती है.

अब दया याचिका पर भी होगा नया नियम

किसी भी फैसले में मौत की सजा पाए दोषी को अपनी सजा कम करवाने या माफी के लिए आखिरी रास्ता दया याचिका होती है. जब सभी कानूनी रास्ते बंद हो जाते हैं तो दोषी के पास राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर करने का अधिकार होता है. अब तक जब दोषी के पास सारे रास्ते खत्म हो जाते थे तो दया याचिका के लिए कोई सीमा नहीं थी. लेकिन अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 472 (1) के तहत, सारे कानूनी रास्ते खत्म होने के बाद दोषी को 30 दिन के अंदर राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर करनी होगी. इसके बाद राष्ट्रपति का दया याचिका पर जो भी फैसला होगा उसकी जानकारी 48 घंटे के अंदर केंद्र सरकार को राज्य सरकार के गृह विभाग और जेल के सुपरिंटेंडेंट को देनी होगी.

यह भी पढ़ें: अब किन मामलों में हथकड़ी लगा सकती है पुलिस? कानून में होगा ये बदलाव



Source link

x