Titan Submarine Sank Catastrophic Implosion Is Reason For Titan Submarine Sinking
टाइटन पनडुब्बी (Titan Submarine) के डूबने से दुनिया के 5 अरबपतियों की मौत हो गई. ये सभी लोग टाइटन पनडुब्बी से 1912 में डूबे टाइटैनिक जहाज के मलबे को देखने जा रहे थे. कुछ दिनों पहले जब ये टाइटन पनडुब्बी लापता हुई तो पूरी दुनिया में हंगामा मच गया, क्योंकि इसमें सवार पांचों लोग कोई आम इंसान नहीं, बल्कि दुनिया के अरबति लोग थे. इसलिए जब यह खबर बाहर आई तो पूरी दुनिया के लिए ये चर्चा का विषय बन गई. अब 22 जून को खबर आती है कि टाइटन पनडुब्बी का मलबा टाइटैनिक जहाज के पास ही मिला है. इस मलबे को कनाडा की रिमोट से ऑपरेट होने वाले यूएवी ने बरामद किया है. वहीं इसकी पुष्टि टाइटन पनडुब्बी को ऑपरेट करने वाली कंपनी ओशनगेट ने भी कर दी है. लेकिन अब सवाल उठता है कि ये हादसा हुआ कैसे? कैसे ये टाइटन पनडुब्बी में समुद्र में डूबी.
कैसे हुआ ये हादसा
दुनिया भर के एक्सपर्ट्स मानते हैं कि टाइटन पनडुब्बी के डूबने का कारण कैटास्ट्रॉफिक इम्प्लोजन है. इसी की वजह से टाइटन पनडुब्बी के अंदर कुछ ऐसा हुआ कि उसने काम करना बंद कर दिया और वह इतने बुरी तरह से डैमेज हुई की वहीं टाइटैनिक के पास ही डूब गई. तो चलिए अब जानते हैं कि आखिर ये कैटास्ट्रॉफिक इम्प्लोजन होता क्या है?
दरअसल, कैटास्ट्रॉफिक इम्प्लोजन एक प्रक्रिया है और ये तब होती है जब किसी पनडुब्बी के अंदरुनी हिस्से में इतना ज्यादा दबाव बन जाए कि वो बुरी तरह से डैमेज हो जाए और फिर काम करना बंद कर दे. हिंदुस्तान टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी स्थिति तब बनती है जब किसी एक सीमित जगह पर जरूरत से कहीं ज्यादा दबाव बनने लगता है और पनडुब्बी में उस दबाव को संफालने की क्षमता नहीं रहती तो इसकी वजह से अंदरुनी विस्फोट हो जाता है और इससे पनडुब्बी छतिग्रस्त हो जाती है.
4 दिनों तक चली थी इस पनडुब्बी की खोज
कहा जा रहा है कि ये पांचों अरबपति जिस टाइटन पनडुब्बी में सवार थे उसकी क्षमता 4 हजार मीटर तक की थी, जबकि इस टाइटन पनडुब्बी पर दबाव इससे ज्यादा था. टाइटन पनडुब्बी की कंपनी का कहना है कि जब इन लोगों से संपर्क टूटा तो तुरंत सर्च अभियान चलाया गया. अमेरिका और कनाडा की नौसेना लगाई गई लेकिन 4 दिनों तक कुछ पता नहीं चला. वहीं कंपनी का दावा था कि टाइटन पनडुब्बी में संपर्क टूटने के बाद से 96 घंटे का ऑक्सीजन था. हालांकि, ये कितना सच है वो जांच के बाद ही पता चलेगा.
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