Uniform Civil Code Congress Nitish Kumar JDU KC Tyagi ON UCC After Law Commission Notice BJP Reacts


Uniform Civil Code: विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर लोगों और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के सदस्यों सहित विभिन्न हितधारकों के विचार मांगे हैं. इसी बीच यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बयानबाजी तेज हो गई है. 

यूसीसी को लेकर कांग्रेस ने गुरुवार (15 जून) को कहा कि मोदी सरकार इसके जरिए विफलताओं से ध्यान भटकाना और ध्रुवीकरण के अपने एजेंडे को वैधानिक रूप देना चाहती है. वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू ने कहा कि यूसीसी को लेकर सभी को विश्वास में लेने की जरूरत है. 

कांग्रेस ने क्या कहा?
कांग्रेस की ओर से पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि विधि आयोग को अपनी विरासत का ध्यान रखना चाहिए और यह भी याद रखना चाहिए कि देश के हित बीजेपी की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से अलग होते हैं. 

जयराम रमेश ने कहा, ‘‘यह बात अजीबोगरीब है कि विधि आयोग नए सिरे से राय ले रहा है, जबकि उसने अपनी विज्ञप्ति में खुद स्वीकार किया है कि उससे पहले के विधि आयोग ने इस विषय पर अगस्त 2018 में परामर्श पत्र प्रकाशित किया था.’’ 

उन्होंने दावा किया कि इसका कोई कारण नहीं दिया गया कि इस विषय पर अब विचार क्यों हो रहा है. विधि आयोग ने इस विषय की विस्तृत और समग्र समीक्षा करने के बाद यह कहा था कि फिलहाल समान नागरिक संहिता की जरूरत नहीं है.  

जेडीयू क्या बोली?
जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि यूसीसी पर सभी हितधारकों, समुदायों औऱ विभिन्न धर्म के सदस्यों के लोगों को विश्नास में लेकर बात करने की जरूरत है. उन्होंने सीएम नीतीश कुमार के 2017 में विधि आयोग के तत्कालीन चेयरपर्सन बीएस चौहान को लिखे लेटर का हवाला देते हुए बताया कि यूसीसी को लोगों के कल्याण के लिए सुधार के उपाय के रूप में देखा जाना चाहिए.

त्यागी ने आगे कहा कि कि यूसीसी को अल्पसंख्यकों से बात किए बिना लागू करना संविधान में मिले धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के मुताबिक नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने राज्यों से बात करने को भी कहा.

बीजेपी ने क्या जवाब दिया?
बीजेपी नेता और यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि यूसीसी की बात सुनकर कुछ लोग बिदकने लगते हैं. उन्होंने ट्वीट किया, ”भाईचारा, गंगा-जमुना तहज़ीब की वकालत करने वाले मानते हैं कि हिंदू-मुस्लिम सब एक समान हैं, लेकिन समान नागरिकता कानून की बात सुन कर यही तथाकथित लोग बिदकने लगते हैं.” 

वहीं बीजेपी नेता मोहसिन रजा ने कहा कि मैं मुस्लिम हूं तो मुझे घर में और मस्जिद में नमाज पढ़ने की इजाजत दी है, लेकिन कानूनी दायरा होना चाहिए है. कोई गलत काम किया है तो हम इस्लामिक कानून की बात करने लग जाते हैं. देश और इस्लामिक कानून अलग है. हमें देश के कानून के दायरे में आना होगा. 

मामला क्या है? 
यूसीसी पर पहले, 21वें विधि आयोग ने दो मौकों पर सभी हितधारकों के विचार मांगे थे. इसका कार्यकाल अगस्त 2018 में समाप्त हो गया था. इसके बाद, ‘परिवार कानून में सुधारों’ पर 2018 में एक परामर्श पत्र जारी किया गया था. 

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आयोग ने बुधवार (14 जून) को एक सार्वजनिक नोटिस में कहा कि 2018 पत्र को जारी किए जाने को लेकर इसे तीन वर्षों से अधिक समय बीत जाने के बाद, मुद्दे की प्रासंगिकता और विभिन्न अदालती आदेशों को ध्यान में रखते हुए 22वें विधि आयोग ने मुद्दे पर नए सिरे से चर्चा करने का फैसला किया है. 

आयोग ने नोटिस में कहा कि बाइसवें विधि आयोग ने एक बार फिर समान नागरिक संहिता पर व्यापक स्तर पर लोगों और मान्यताप्राप्त धार्मिक संगठनों के विचार मांगने का फैसला किया है. इसमें रुचि रखने वाले इच्छुक लोग और संगठन नोटिस जारी होने की तारीख की 30 दिन की के अंदर विधि आयोग को अपने विचार दे सकते हैं. 

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