Universe became transparent Webb telescope shows how
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हाइलाइट्स
बिगबैग के बाद ब्रह्माण्ड में गैलेक्सी में तारों के पास गर्म और घनी गैस फैल गई थी.
गैस ठंडी होने के बाद फिर गर्म होकर आयनीकृत हई जिसे रीआयोनाइजेशन युग कहते हैं.
जेम्स वेब टेलीस्कोप ने इसी काल के दौरान गैलेक्सी के आंकड़े हासिल किए हैं.
क्या आपने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि हमारा ब्रह्माण्ड पारदर्शी है. इसमें सुदूर पिंडों की रोशनी भी देखी जा सकती है. लेकिन फिर भी सोचने में अजीब लगता है कि क्या ऐसा हो सकता है कि ब्रह्माण्ड पारदर्शी ही ना हो. ये सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है कि वास्तव में एक समय ऐसा ही था. ब्रह्माण्ड के उत्पत्ति के तुरंत ही बाद तारों और गैलेक्सी की बीच की गैस अपारदर्शी थी और तारों का प्रकाश उन्हें पार नहीं कर सकता था, लेकिन बिग बैंग के एक अरब साल बाद यह गैस पूरी तरह से पारदर्शी हो गए. लेकिन ऐसा कैसे हो पाया, नासा के मुताबिक इसका जवाब जेम्स टेलीस्कोप से मिला है.
खास दौर की जानकारी
जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप पिछले कुछ समय से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और उसके फौरन के बाद के समय की काफी नई जानकारियां दे रहा है. इसी की मदद से वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद मिली है कि वास्तव में यह सब हुआ कैसे था. एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित तीन नए अध्ययनों में खगोलविदों ने उस खास दौर के बारे में नई जानकारी जुटाई है जिसे रिआयोनाइजेशन का युग कहा जाता है.
बिग बैंग के फौरन बाद का काल
आयोनाइजेशन युग बिग बैंग से ब्रह्माण्ड की पैदाइश के फौरन बाद का काल है जब उसमें बहुत सारे बदलाव देखने को मिले थे. बिग बैंग के विस्फोट के तुरंत बाद ही ब्रह्माण्ड की गैसें करोड़ सालों के दौर में बहुत ही ज्यादा और घनी हो गई थीं. इसके बाद गैस ठंडी हो गईं और फिर ब्रह्माण्ड में दोहराव देखने को मिला और गैसे फिर गर्म और आयनीकृत हो गईं.
गैसों का आयनीकरण
स्विट्जरलैंड में ईटीएच ज्यूरिख के सिमोन लिली की अगुआई में खगोलविदों की अंतरराष्ट्रीय टीम ने यह पहेली सुलझाई है. गैसों का फिर से गर्म होकर आयनीकृत होना गैलेक्सी में शुरुआती तारों के निर्माण की वजह से हुआ था. और इसके बाद ही ब्रह्माण्ड पारदर्शी हो सका था. तारों से इतना प्रकाश और ऊष्मा निकली जिससे उनके आसपास की गैस आयनीकृत होकर पारदर्शी हो सकी.
गैसों के आयनीकरण के दौर के बाद ही ब्रह्माण्ड अच्छे से पारदर्शी होने की स्थिति में आ सका. (तस्वीर: NASA, ESA, CSA, Joyce Kang STScI)
सटीक प्रमाणों की तलाश
खगोलविद इस बदलाव के पीछे की व्याख्या के लिए लंबे समय से सटीक प्रमाण खोज रहे थे. शोधकर्ताओं के पहले शोधपत्र के प्रमुख लेखक जापान की नागोया यूनिवर्सिटी के दाइची काशिनो ने बताया कि वेब स्पेस टेलीस्कोप ने ना केवल यह साफ तौर से दर्शाया कि ये पारदर्शी इलाके गैलेक्सी के पास दिखाई दे रहे हैं, बल्कि यह भी पता चल सका कि वे कितने बड़े हैं.
इतने पुराने समय की जानकारी कैसे
काशिनो ने बताया कि वेब के आंकड़ों के जरिए हमें गैलेक्सी के पास की पुनः आयनीकृत गैस भी देख पा रहे हैं. वेब के जरिए खगोलविद ऐसी गैलेक्सी के अवलोकन कर पा रहे हैं जो अरबों प्रकाशवर्ष की दूरी पर स्थित हैं. चूंकि प्रकाश को इतनी दूरी तय करने में अरबों साल का समय लगता है, हमें गैलेक्सी उस दौर की देख रह हैं जिस दौर की वे थीं, यानि उनकी रीआयोनाइजेशन युग के दौरान की स्थिति थी.
आयनीकृत गैस के बुलबुले
ये युवा गैलेक्सी ऐसी अवस्था में थीं जैसे कि वे एक गुब्बारे के अंदर हों और तारों से बनी ऊर्जा उस गुब्बारे में हों. जैसे जैसे गैलेक्सी बढ़ती गईं, गुब्बरारे के अंदर में आयनीकृत गैसें के बुलबुले मिलने लगे और बड़े पारदर्शी हिस्से बनने लगे. अंततः स्थिति यह बनी की ये भी मिल कर एक पारदर्शी ब्रह्माण्ड बन गए.
शोधकर्ताओं को यह जानकारी बहुत ही चमकीले ब्लैक होल यानि क्वेजार की चमक से दिखी. जब वेब टेलीस्कोप ने एक खास क्वेजार को देखा तो खगोलविदों वहां प्रकाश गैस से निकलती हुई दिखी. यहां उन्होंने पाया कि प्रकाश को कुछ इलाकों में तो अपारदर्शी गैस अवशेषित कर रही है और कुछ में वह पारदर्शी गैस से पार निकल रहा है. शोधकर्ताओं के उसी प्रकाश से गैस की संरचना और अवस्था का पता चला. साथ ही यह भी पता चला कि छोटी गैलेक्सी कारण ही रीआयोनाइजेशन की प्रक्रिया हो सकी और उनके आसपास के क्षेत्र साफ और पारदर्शी होते चले गए.
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FIRST PUBLISHED : June 15, 2023, 12:27 IST