विश्वविद्यालयों के छात्र एक साथ दो संस्थानों से हासिल कर सकेंगे डिग्री
नई शिक्षा नीति लागू होने के साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) उच्च शिक्षा व्यवस्था में छात्रों को ज्यादा विकल्प प्रदान करेगा.
नई दिल्लीः यूजीसी जल्द ही छात्रों को एक ही समय में दो संस्थानों से दो डिग्री हासिल करने की अनुमति देने जा रहा है. इस नई प्रक्रिया में छात्र द्वारा हासिल किए जाने वाले 40 फीसदी क्रेडिट उनकी मूल यूनिवर्सिटी के अलावा किसी अन्य यूनिवर्सिटी का हो सकता है. नई शिक्षा नीति लागू होने के साथ ही विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) उच्च शिक्षा व्यवस्था में छात्रों को ज्यादा विकल्प प्रदान करेगा.
यूजीसी ने इस परिवर्तन को लेकर एक नई गाइडलाइन बनाई है. यूजीसी की इस गाइडलाइन को जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा.
अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों नया करिकुलम होगा तैयार
यूजीसी के मुताबिक नई गाइडलाइन एक साथ दो डिग्री क्रेडिट स्कोर सिस्टम एवं मल्टी-डिसिप्लिनरी एजुकेशन सिस्टम को लागू करने के लिए तैयार की जा रही है. इसके अलावा अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के नए करिकुलम पर भी काम किया जा रहा है. इसके तहत विश्वविद्यालय अंडरग्रेजुएट कोर्सेस नए सिरे से डिजाइन कर रहे हैं. देश का सबसे बड़ा केंद्रीय विश्वविद्यालय ’डीयू’ आगामी नए सत्र से नए अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क को लागू कर सकता है. दिल्ली विश्वविद्यालय के मुताबिक अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के लिए नया करिकुलम तीन माह में तैयार हो सकता है.
डिजिटल शिक्षण इकोसिस्टम से बढ़ेंगे अवसर
शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि एक सर्व-समावेशी डिजिटल शिक्षण-शिक्षाप्राप्ति इकोसिस्टम वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य में अवसर बढ़ाती है. इनमें डिजिटल यूनिवर्सिटी इकोसिस्टम और भारत सरकार की विभिन्न पहलों जैसे भारतनेट, राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय, राष्ट्रीय अकादमी संग्रहालय, क्रेडिट अकादमी बैंक, स्वयं, एनईएटी और इंटर्नशिप, राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा संरचना, राष्ट्रीय शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच के एकीकरण शामिल हैं.
यूजीसी क्षमता-प्रदाता के रूप में कार्य करेगा
गौरतलब है कि यूजीसी अब क्षमता-प्रदाता के रूप में कार्य करेगा. इसके लिए यूजीसी भविष्य के शिक्षण-शिक्षाप्राप्ति प्रक्रिया की पुनर्कल्पना में जवाबदेही प्रावधानों के साथ एक निगरानी संस्था के रूप में नहीं बल्कि एक क्षमता-प्रदाता के रूप में कार्य करेगा. मंत्रालय के मुताबिक डिजिटल यूनिवर्सिटी के लिए विस्तृत रोडमैप और कार्यान्वयन योजना जैसे नियामक रूपरेखा, केंद्र व शाखा पर आधारित एचईआई की पहचान, अकादमिक नेतृत्व के लिए दिशा-निर्देश और संकाय के प्रशिक्षण को आने वाले समय में अंतिम रूप दिया जाएगा.