UP: कानपुर के शेखर ने फतह की नेपाल की 21,800 फीट ऊंची मेरा चोटी, सबसे कम उम्र में ऐसा करने वाले पहले भारतीय


कानपुर: कानपुर के रहने वाले शेखर बिजलानी ने शहर का मान बढ़ाया है. शेखर ने नेपाल के माउंट मेरा चोटी को फतह किया है. 21800 फीट की ऊंची चोटी पर जाकर उन्होंने तिरंगा फहराया है और ऐसा करने वाले वे सबसे कम उम्र के भारतीय बन गए हैं. उन्होंने मात्र 23 साल की उम्र में माउंट मेरा की चोटी पर तिरंगा फहराया है. 18 दिन के इस सफर में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. जानिए उनके सामने कौन-कौन से चैलेंज आए और बतौर पर्वतारोही उनका अब तक का सफर कैसा रहा.

एवरेस्ट धारावाहिक देखकर हुए मोटिवेटेड 
शेखर ने बताया कि वे और उनके पिता दोनों टीवी सीरियल एवरेस्ट देखते थे. उनके पिता भी पर्वतारोही बनना चाहते थे लेकिन उनको मौका नहीं मिल पाया. इसके बाद यह धारावाहिक देखकर उनके मन में भी पर्वतारोही बनने का ख्याल आया. फिर इसे लेकर खूब रिसर्च की और सारी जानकारी हासिल की. इसके बाद उनका ये सफर शुरू हुआ. सबसे पहले उन्होंने केदारनाथ की ट्रैकिंग की जिसके बाद वे माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप गए और अब उन्होंने माउंट मेरा की चोटी को फतह किया.

अकेले भारतीय थे शेखर
नेपाल के माउंट मेरा पर चढ़ाई करने वाले पर्वतारोही के ग्रुप में शेखर बिजलानी अकेले भारतीय थे. बाकी लोग अलग-अलग देशों से थे. शेखर ने बताया कि ब्रिटेन की कंपनी की ओर से इस शिविर का आयोजन किया गया था, जिसमें वे इकलौते भारतीय पर्वतारोही थे. 30 लोगों के ग्रुप में सिर्फ 15 लोग ही चोटी चढ़ पाए थे.

चुनौतियों भरा था सफर
शेखर ने बताया कि यह सफर बेहद चुनौतीपूर्ण रहा. ‘सबसे बड़ी समस्या- 28 डिग्री टेंपरेचर और बेहद कम ऑक्सीजन की वजह से सांस लेने में तकलीफ की थी. बर्फीले ग्लेशियर को पार करना बेहद कठिन होता है लेकिन मेरा लक्ष्य था कि मुझे कैसे भी यह माउंटेनियरिंग पूरी करनी है’. वे अपने लक्ष्य के साथ चलते गए और इन सभी चुनौतियों को पार करते हुए उन्होंने अपना सफर पूरा किया. वहीं तिरंगे को जैसे ही उन्होंने चोटी फतहकर अपने हाथ में उठाया उनकी सारी थकान दूर हो गई और उनमें एक नई ऊर्जा का प्रवाह हो गया. उन्होंने बताया कि वह सबसे कम उम्र में इस छोटी को पता करने वाले भारतीय हैं.

क्या देते हैं सलाह
जो युवा पर्वतारोही बनना चाहते हैं उनके लिए शेखर ने सलाह दी कि बिना किसी गाइडेंस के वे ऐसा ना करें क्योंकि इससे आपकी जान खतरे में पड़ सकती है. इसके लिए रिसर्च करें, सारी जानकारी जुटाएं और उसके बाद ही ये सफर शुरू करें. उन्होंने ये भी कहा कि अब वे दक्षिण अफ्रीका के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट किलिमंजारो पर तिरंगा फहराना चाहते हैं. अगले साल वे यहां पर जाने की तैयारी कर रहे हैं.

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