UP: Court Cancels Government Order For Compulsory Retirement Of Deputy Superintendent Of Police – इलाहाबाद HC ने योगी सरकार के आदेश को पलटा, पुलिस उपाधीक्षक की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश रद्द


इलाहाबाद HC ने योगी सरकार के आदेश को पलटा,  पुलिस उपाधीक्षक की अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश रद्द

प्रयागराज:

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश पुलिस में उपाधीक्षक के पद से एक व्यक्ति को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करने के राज्य सरकार के आदेश को दरकिनार कर दिया. राज्य सरकार के 17 नवंबर, 2019 के एक आदेश के तहत रतन कुमार यादव को ‘स्क्रीनिंग कमेटी’ की अनुशंसा पर अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया गया था.

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि राज्य पुलिस सेवा में दक्षता बनाए रखने के लिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति की सिफारिश की जा रही है.

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अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश रद्द करते हुए अदालत ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ता को तीन सप्ताह के भीतर फिर से सेवा में लेना का आदेश पारित करने का निर्देश दिया.

रतन कुमार यादव की रिट याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने पिछले सप्ताह दिए अपने आदेश में कहा, ”यह स्पष्ट है कि स्क्रीनिंग कमेटी ने कोई व्यक्तिपरक संतुष्टि दर्ज नहीं की और अस्पष्ट रूप से यह तथ्य दर्ज किया कि याचिकाकर्ता अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए उपयुक्त है. साथ ही कमेटी ने सरकारी कर्मचारी के व्यक्तिगत मामलों पर विचार किए बगैर यह तथ्य दर्ज किया.”

अदालत ने कहा, ”रिपोर्ट यह साबित करती है कि प्रतिवादी द्वारा अनिवार्य सेवानिवृत्ति का आदेश पारित करते समय सेवा के रिकॉर्ड पर किसी तरह से विचार नहीं किया गया. सात नवंबर, 2019 के आदेश में पूर्व के दंड आदेशों का विवरण उल्लिखित है. इस तरह से यह आदेश (सात नवंबर का) गलत है और एक तरह से दोहरे दंड के समान है.”

अदालत के मुताबिक, ”इस तरह से, राज्य सरकार द्वारा पारित सात नवंबर, 2019 का आदेश टिकने योग्य नही हैं और यह कानून के उलट है, इसलिए इसे रद्द किया जाता है.”

याचिकाकर्ता की नियुक्ति उत्तर प्रदेश पुलिस में उपनिरीक्षक के पद पर की गई थी. बाद में उन्हें निरीक्षक के पद पर प्रोन्नत किया गया और इसके बाद वह प्रोन्नति पाकर पुलिस उपाधीक्षक के पद पर पहुंचे.

राज्य सरकार की स्क्रीनिंग कमेटी ने एक नवंबर, 2019 को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें सिफारिश की गयी थी कि याचिकाकर्ता को जनहित में सेवा में बरकरार नहीं रखा जाना चाहिए और उन्हें अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किया जाना चाहिए.



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