UP Panchayat Elections : कौन सा गांव किस जाति के लिए आरक्षित ? सबकी नजर आरक्षण सूची पर

UP Panchayat Elections: यूपी में 25 दिसंबर को ग्राम पंचायतों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। नियमानुसार इससे पहले चुनाव हो जाने चाहिए, लेकिन इस बार कोरोना की वजह से इसमें देरी है। अभी वोटर लिस्ट पुनरीक्षण का काम चल रहा है। दिसंबर के अंतिम सप्ताह में इसके फाइनल प्रकाशन हाेने की उम्मीद है। वैसे इस समय सबकी नजर आरक्षण सूची पर है। इस सूची के आने के बाद ही तय हाेगा कि किस गांव से किस जाति के लोग चुनाव लड़ सकेंगे।  

इस बार बदली है व्यवस्था :

अभी तक यह देखने में आता था कि कई बार दबाव बनवाकर आरक्षण सूची में बदलाव कर दिया जाता था। इसी शिकायत काे दूर करने के लिए शासन इस बार आरक्षण की व्यवस्था आनलाइन करने जा रही है। संभावना है कि यह सूची पूरी तरह से ऑनलाइन होगी। डाटा फिडिंग का काम चल रहा है।

जानिए 2015 का आरक्षण :

2015 में हुए पिछले पंचायत चुनाव में हुए चक्रानुक्रम आरक्षण में कुल 59074 पंचायतों में से ग्राम प्रधान के कुल 20661 पद अनारक्षित थे। जबकि 9900 पद महिला के लिए, 10368 पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए, 5577 पद अन्य पिछड़ा वर्ग महिला के, 7885 पद अनुसूचित जाति, 4344 पद अनुसूचित जाति महिला, 205 पद अनुसूचित जनजाति व 134 पद अनुसूचित जनजाति महिला के लिए आरक्षित किये गये थे।

2015 में हुए पंचायत चुनाव में : 

-59162 ग्राम प्रधान चुने गये 
-742269 ग्राम पंचायत सदस्य
-821 क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष
-75576 क्षेत्र पंचायत सदस्य
-जिला पंचायत अध्यक्ष -75
-जिला पंचायत सदस्य-3112
 
एक ग्राम पंचायत में कितने सदस्य होते हैं:

1000 की आबादी पर-9
1 से 2 हजार की आबादी पर -11
 2 से 3 हजार की आबादी पर -13
3 हजार से अधिक की आबादी पर  -15
 
वर्ष 2015 के पंचायत चुनाव में कितनी आबादी पर कितनी पंचायतें रहीं 
1 हजार की आबादी वाली पंचायतें-220
1 हजार से 2 हजार की आबादी वाली पंचायतें-25674
 2 से 3 हजार की आबादी वाली पंचायतें-   17916
 3 हजार से 5 हजार की आबादी वाली पंचायतें-  10756
5 हजार से 10 हजार की आबादी वाली पंचायतें-3924
10 हजार से अधिक आबादी वाली पंचायतें-673

क्या कहा गया शासनादेश में :

उत्तर प्रदेश के पंचायतीराज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह शासनादेश के अनुसार पहली जनवरी 2016 से लेकर अब तक नगर पंचायत,नगर पालिका परिषद, नगर निगम के सृजन या सीमा विस्तार के फलस्वरूप जिले में कतिपय विकास खण्ड या विकास खण्ड की ग्राम पंचायतें शहरी क्षेत्र में शामिल किये जाने से प्रभावित हुई हैं। अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव से पहले ऐसे विकास खण्ड या विकास खण्ड की प्रभावित ग्राम पंचायतों का आंशिक परिसीमन किया जाना है। इस बारे में पंचायतीराज निदेशक के अलावा सभी जिलाधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी कर दिये गये हैं। अब तक राज्य के 49 जिले प्रभावित हुई हैं।

कब क्या हाेगा :

12 से लेकर 21 दिसम्बर के बीच ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के वार्डों की प्रस्तावित सूची की तैयारी और उसका प्रकाशन होगा। 22 से 26 दिसम्बर के बीच इन वार्डों के निर्धारण पर आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी। 27 दिसम्बर से 2 जनवरी के बीच आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा। 3 से 6 जनवरी के बीच वार्डों की अंतिम सूची का प्रकाशन किया जाएगा। ग्राम व क्षेत्र पंयायत से सम्बंधित आपत्तियां संबंधित जिला पंचायत राज अधिकारी कार्यालय में और जिला पंचायत के वार्डों के संबंध में आपत्तियां जिला पंचायत कार्यालय में अपर मुख्य अधिकारी द्वारा प्राप्त की जाएंगी। साथ ही निर्धारित अवधि में प्राप्त इन सभी आपत्तियों का निस्तारण जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाएगा।

प्रदेश के 4 जिलों सम्भल, मुरादाबाद, गोण्डा और गौतमबुद्धनगर की पंचायतों के परिसीमन की प्रक्रिया आगामी 18 दिसम्बर के बाद शुरू होगी। इन जिलों में 2015 के पंचायत चुनाव में कानूनी अड़चनों की वजह से परिसमीन नहीं हो पाया था। इसलिए यहां स्थित पंचायतों के वार्डों का पुर्नगठन इस बार नये सिरे से करवाया जा रहा है। राज्य के 49 जिलों में पंचायतों के आंशिक परिसीमन के लिए वार्डों के पुर्ननिर्धारण की प्रक्रिया 18 दिसम्बर को पूरी हो जाएगी। इसके बाद उपरोक्त 4 जिलों की पंचायतों का परिसीमन करवाया जाएगा। 

राज्य के पंचायतीराज विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की ओर से बुधवार को जारी शासनादेश के अनुसार वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर ग्राम पंचायतवार जनसंख्या का निर्धारण 4 से 11 दिसम्बर के बीच किया जाएगा। पहली जनवरी 2016 से लेकर अब तक राज्य के 49 जिलों में नगर पंचायत, नगर पालिका परिषद, नगर निगम के सृजन या सीमा विस्तार के फलस्वरूप जिले में कतिपय विकास खण्ड या विकास खण्ड की ग्राम पंचायतें शहरी क्षेत्र में शामिल किये जाने से प्रभावित हुई हैं। इन पंचायतों के वार्डों का फिर से निर्धारण किया जाना है। 

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