UPPCS Exam Why do students want one day one shift RO ARO exam Know what is the benefit of this


उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने आगामी पीसीएस (प्रारंभिक) परीक्षा 2024 को एक ही दिन में आयोजित करने का फैसला किया है. इस निर्णय से प्रतियोगी परीक्षा देने वाले लाखों छात्रों को राहत मिली है. हालांकि आरओ-एआरओ परीक्षा के लिए आयोग ने एक कमेटी का गठन किया है. इसकी रिपोर्ट आने के बाद फैसला किया जाएगा. इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि अभ्यर्थी सिंगल डे एग्जाम कराने की मांग क्यों कर रहे हैं, आखिर क्या हैं इसके फायदे?  आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

वन डे-वन शिफ्ट एग्जाम के फायदे

यूपीपीएससी के जरिए सरकारी नौकरी पाने की इच्छा रखने वाले प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थी “वन डे-वन शिफ्ट” की मांग कर रहे हैं. इसके जरिए अगर परीक्षा आयोजित की जाती है, तो परीक्षा अलग-अलग दिनों में आयोजित न होकर एक दिन होगी. इससे प्रश्नपत्र अलग-अलग नहीं होंगे. साथ ही, इसमें एक सेट दूसरे की तुलना में अधिक कठिन होने की संभावना न के बराबर होगी.

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समान प्रश्न पत्र और कठिनाई स्तर

वन डे-वन शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि सभी छात्रों को समान प्रश्न पत्र मिलेगा. जब परीक्षा अलग-अलग शिफ्ट में होती है, तो विभिन्न सेट के प्रश्नपत्रों में कठिनाई स्तर में भिन्नता होने की संभावना रहती है. इससे यह समस्या उत्पन्न होती है कि किसी एक शिफ्ट का प्रश्नपत्र दूसरे से अधिक कठिन या सरल हो सकता है, जिससे निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं. यदि सभी छात्रों को एक ही सेट का प्रश्नपत्र मिलता है, तो यह सुनिश्चित होता है कि सभी उम्मीदवारों के लिए समान अवसर उपलब्ध होंगे.

नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया का विरोध

छात्र नॉर्मलाइजेशन प्रणाली का विरोध कर रहे हैं, जो आयोग द्वारा लागू की गई थी. नॉर्मलाइजेशन के तहत, प्रत्येक उम्मीदवार का स्कोर उनके प्रदर्शन के आधार पर अन्य उम्मीदवारों के साथ तुलना करके निर्धारित किया जाता है. छात्रों का मानना है कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता को प्रभावित करती है और योग्य उम्मीदवारों को बाहर करने की रणनीति बन सकती है. वन डे-वन शिफ्ट में परीक्षा होने से नॉर्मलाइजेशन की आवश्यकता समाप्त हो जाती है, क्योंकि सभी छात्रों का मूल्यांकन समान रूप से किया जाएगा.

परीक्षा केंद्रों की संख्या और पहुंच
छात्र यह भी मांग कर रहे हैं कि परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाई जाए, ताकि सभी जिलों में परीक्षाएं आयोजित की जा सकें. वर्तमान में केवल 41 जिलों में परीक्षा केंद्र स्थापित किए गए हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में 75 जिले हैं. यदि परीक्षा एक ही दिन और शिफ्ट में होती है, तो इसे अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकता है और अधिक छात्रों को शामिल किया जा सकता है.

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भ्रष्टाचार और पारदर्शिता के मुद्दे

छात्र आयोग पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगा रहे हैं. पहले भी आयोग के कुछ अधिकारियों को पेपर लीक मामलों में गिरफ्तार किया गया था. इसलिए वे चाहते हैं कि परीक्षा प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी हो, ताकि किसी भी प्रकार की धांधली या अनियमितता से बचा जा सके. वन डे-वन शिफ्ट वाली परीक्षा इस पारदर्शिता को बढ़ावा देगी.

मानसिक तनाव कम करना

अलग-अलग शिफ्ट्स में परीक्षाएं देने से छात्रों पर मानसिक दबाव बढ़ सकता है, क्योंकि उन्हें अपने प्रदर्शन को लेकर चिंता रहती है कि क्या उनका पेपर कठिन था या आसान. यदि सभी छात्र एक ही समय पर परीक्षा देते हैं, तो इससे तनाव कम होगा और वे अपनी तैयारी पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे. इन सभी कारणों से छात्र परीक्षाओं को वन डे-वन शिफ्ट में आयोजित करने की मांग कर रहे हैं.  इससे उन्हें निष्पक्षता, पारदर्शिता और समान अवसर मिलेंगे.

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