US India China Relations Why Joe Biden Officials Go To China Before The Indian PM Modi America Visit What Happened In Beijing
US China Relations: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) इस महीने 21 से 24 जून तक अमेरिका (America) के दौरे पर रहेंगे. वहां राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) और उनकी पत्नी जिल बाइडेन मोदी को ‘स्टेट डिनर’ कराएंगे. मोदी की इस यात्रा को यादगार बनाने के लिए दोनों देशों के विदेश एवं रक्षा मंत्रालयों की टीमें जुटी हैं. कहा जा रहा है कि अमेरिका चीन (China) को काउंटर करने के लिए भारत का सहयोग चाहता है. वहीं, दूसरी ओर अमेरिका ने मोदी के यात्रा से पहले चीन में अपने राजनयिकों को भेजा है.
अमेरिकी राजनयिक चीन क्यों गए, ये सवाल कई विशेषज्ञों के मन में उठ रहा है. कुछ का मानना है कि अमेरिका खुद तो चीन से संबंधों को सुधारने में लगा है, वहीं दूसरी ओर वो भारत-चीन में टकराव होते देखना चाहता है. चीन अक्सर ये कहता है, कि भारत अमेरिका के इशारों पर चल रहा है और इसलिए बॉर्डर पर टेंशन बढ़ती है. वहीं, कई भारतीय रक्षा विशेषज्ञ ये मानते हैं कि अमेरिका भारत और चीन में मित्रता नहीं चाहता.
चीन पहुंचे अमेरिका के प्रतिनिधि
बीजिंग के चाइना मीडिया ग्रुप के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एशिया-प्रशांत मामलों के सहायक सचिव डेनियल जोसेफ क्रिटेनब्रिंक और व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के चीनी मामलों की वरिष्ठ निदेशक सारा बेरन ने चीन का दौरा किया. इस दौरान चीनी उप विदेश मंत्री मा चाओशू ने उनसे मुलाकात की. चीनी विदेश मंत्रालय के अमेरिकी व ओशिनिया के मामलों के विभाग के महानिदेशक यांग थाओ के साथ उनकी बैठक हुई.
चीन-अमेरिकी संबंधों को सुधारने, मतभेदों को दूर करने पर बात
एक रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिकी और चीनी प्रतिनिधियों के बीच चीन-अमेरिकी संबंधों को सुधारने और मतभेदों को ठीक से प्रबंधित करने व नियंत्रित करने पर स्पष्ट, रचनात्मक बातचीत हुई. दोनों पक्षों ने पिछले नवंबर में इंडोनेशिया के बाली में दोनों देशों के प्रमुख नेताओं के बीच हुई आम सहमति के अनुसार आपसी तनाव दूर करने पर जोर दिया. बातचीत में चीन ने थाइवान आदि प्रमुख मुद्दों पर अपना गंभीर रुख स्पष्ट किया. इसके साथ ही दोनों पक्षों ने संवाद जारी रखने पर सहमति जताई.
साल की शुरूआत में दोनों में बढ़ा था तनाव
अमेरिका और चीन के प्रतिनिधियों के बीच ये बातचीत काफी अहम मानी जा रही है, क्योंकि इसी साल दोनों देशों में ‘स्पाई बैलून’ को लेकर तेजी से तनाव बढ़ गया था. वहीं, चीन ने अमेरिका पर ताइवान को उकसाने और उसे हथियार मुहैया कराने के लिए कोसा. चीन ने यहां तक कहा था कि वो अब ताइवान में अमेरिकी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेगा.
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