Uttarakhand: पौड़ी में मौसम की बेरुखी ने बढ़ाई वन विभाग की चिंता, फायर सीजन में धधक सकते हैं जंगल!
श्रीनगर गढ़वाल: सर्द मौसम के बावजूद भी उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जनपद में अभी तक बारिश और बर्फबारी नहीं हुई है. जिसके कारण वन विभाग और पर्यावरणविदों की चिंता बढ़ गई है. अगर पूरी सर्दी मौसम ऐसा ही बना रहता है, तो फायर सीजन में जंगल धू-धू कर जलेंगे. पर्यावरणविदों का कहना है कि बारिश और बर्फबारी न होने के चलते जमीन में नमी नही रह गई है. जिसका असर फायर सीजन में देखने को मिलेगा. पौड़ी में इस साल अन्य जिलों के मुकाबले सबसे अधिक वनाग्नि की घटनाएं घटी.
इस साल फायर सीजन में 373 हेक्टेयर जंगल में वनसंपदा जलकर खाक हो गई है, जिसके नामों निशान अब तक मौजूद हैं. जबकि कई पेड़ बरसात निपटने के बाद भी दोबारा नहीं पनप पाए हैं. ऐसे में बारिश और बर्फबारी न होने से सूख चुकी जमीन जंगलों के धधकने का खतरा बढ़ा रही है.
फायर सीजन में जंगलों के जलने की आशंका बढ़ी
पर्यावरणविद रमेश बौड़ाई ने लोकल 18 को बताया कि वन विभाग को अभी से फायर सीजन को लेकर तैयारियां शुरू करनी होंगी. उन्होंने कहा कि जमीन की नमी बर्फबारी और बारिश न होने से खत्म हो चुकी है. फायर सीजन में जंगलों के जलने की आशंका बढ़ गई है. अगर वन विभाग अभी से फायर लाइन काट लें, तो कुछ हद तक आग पर काबू पाया जा सकता है. वन विभाग की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं और नए तरीके से काम करने की जरूरत है.
प्री फायर कंट्रोल बर्निंग का काम शुरू
डीएफओ गढ़वाल वन प्रभाग स्वप्निल अनिरुद्ध ने लोकल 18 से बातचीत में बताया पौड़ी जनपद में इस सर्दी बर्फबारी और बारिश दोनों ही देखने को नही मिली है. इससे मिट्टी में मॉइश्चर कंटेंट काफी कम हो गया है. इसके कारण फारेस्ट फायर की घटनाएं ज्यादा होने की आशंका है.
उन्होंने बताया कि वर्तमान में जिस वन क्षेत्र में आग लगने की संभावना अधिक है वहां प्री फायर कंट्रोल बर्निंग का काम किया जा रहा है. वहीं संभावित क्षेत्रों में फायर लाइन बनाने का काम भी किया जा रहा है. सभी रेंजों के अधिकारियों को प्री फायर कंट्रोल बर्निंग करने को लेकर निर्देश दे दिए गए हैं.
जंगलों को आग से बचाने के लिए डिस्ट्रिक फायर मैनेजमेंट प्लान
डीएम पौड़ी डॉ. आशीष चौहान ने बताया कि पिछले साल का फायर सीजन पौड़ी के लिए काफी चैलेंजिंग रहा. वहीं इसको देखते हुए डिस्ट्रिक फायर मैनेजमेंट प्लान को बनाया गया है. लगभग 31 करोड़ का बजट इसके लिए रखा गया है, जिसे शासन को भेजा जायेगा. मेन फोकस पिरूल (चीड़ की पत्तियां) के एकत्रीकरण पर है, जिससे आग लगने की संभावना कम हो सके. अगर कोई व्यक्ति आग लगाता हुआ पाया जाता है, तो उस पर भी सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 16, 2024, 12:53 IST