Uttarakhand Tunnel Collapse Trapped Workers Why Is The Rescue Operation Taking So Long – उत्तराखंड हादसा: टनल में 6 दिन से फंसे हैं मजदूर, जानें आखिर रेस्क्यू ऑपरेशन में क्यों लग रहा वक्त?
आइए समझते हैं कि 12 नवंबर से टनल में फंसे 40 मजूदरों को अब तक क्यों नहीं निकाला जा सका. रेस्क्यू ऑपरेशन में क्या दिक्कत आ रही है:-
दिल्ली से लाई गई ड्रिलिंग मशीन
टनल के सामने से मलबा हटाने और ड्रिलिंग के लिए दिल्ली से स्पेशल मशीन मंगाई गई है. ‘अमेरिकन ऑगर मशीन को वायुसेना के सी-130जे सुपर हरक्यूलिस विमान उत्तराखंड के धरासू एडवांस लैंडिंग ग्राउंड पर लाया गया था. इससे गुरुवार रातभर काम लिया गया और 25 मीटर तक ड्रिलिंग की गई. इसके बाद मशीन टनल के अंदर एक मेटेल के हिस्से से टकरा गई.
200 से ज्यादा लोगों की टीम रेस्क्यू में जुटी
फंसे हुए मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं. नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL), NDRF, SDRF, ITBP, BRO और नेशनल हाईवे की 200 से ज्यादा लोगों की टीम 24 घंटे रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं. मजदूरों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. खाना-पानी भी दिया जा रहा है.
12 नवंबर की सुबह 4 बजे धंसा था टनल का हिस्सा
उत्तरकाशी में टनल धंसने वाला हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था. ब्रह्मखाल-यमुनोत्री हाईवे पर 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग का एक हिस्सा ढह गया.चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है. टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर दूर मिट्टी धंसी और वहां काम कर रहे 40 मजदूर फंस गए. जो मजदूर सुरक्षित भागने में सफल रहे, वे 400 मीटर के बफर जोन में फंस गए हैं. ये बफर जोन 200 मीटर चट्टानी मलबे के नीचे है.
थाईलैंड और नॉर्वे के एक्सपर्ट की भी ली गई मदद
उत्तरकाशी टनल में फंसे 40 मजदूरों को निकालने के लिए अब थाईलैंड और नॉर्वे की स्पेशल रेस्क्यू टीमों से मदद ली जा रही है. थाईलैंड की रेस्क्यू फर्म ने 2018 में वहां की गुफा में 17 दिन से फंसे 12 बच्चों और उनके फुटबॉल कोच को सफलतापूर्वक बचाया था. फंसे हुए मजदूर सुरक्षित हैं और उन्हें एयर कंप्रेस्ड पाइप के जरिए ऑक्सीजन, दवाएं, खाना और पानी दिया जा रहा है.
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