Vande Bharat train lost its way know how the loco pilot knows the route of the train


मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल से गोवा के मडगांव रेलवे स्टेशन जाने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन भटक गई थी. जी हां, आपने सही पकड़ा ट्रेन अपने निर्धारित रूट से भटककर दूसरे रूट पर चली गई. जिसके कारण ट्रेन के संचालन में 90 मिनट की देरी हुई है. लेकिन अब सवाल ये है कि ट्रेन के लोको पायलट को रास्ता और ट्रैक कौन बताता है. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे. 

गोवा जाने वाली ट्रेन भटकी

जानकारी के मुताबिक मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल से गोवा के मडगांव रेलवे स्टेशन तक जाने वाली ट्रेन तकनीकी खराबी के कारण दूसरे रूट पर चली गई थी. दरअसल वंदे भारत ट्रेन अपनी निर्धारित रूट पर मडगांव जा रही थी, लेकिन महाराष्ट्र के ठाणे जिले के दीवा स्टेशन पर तकनीकी खराबी के कारण वह दूसरे रास्ते पर चली गई थी. वहीं दूसरे रास्ते से वापस आने में ट्रेन को गोवा की यात्रा में 90 मिनट की देरी हुई है. 

रेलवे अधिकारियों ने दी जानकारी

रेलवे अधिकारियों ने ट्रेन के रूट भटकने को लेकर जानकारी दी है. रेलवे अधिकारी ने बताया कि कोंकण जाने वाली ट्रेनों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाला दिवा-पनवेल रेलवे मार्ग पर पनवेल स्टेशन की ओर बढ़ने के बजाय एक्सप्रेस ट्रेन सुबह छह बजकर 10 मिनट पर कल्याण की ओर मुड़ गई थी. इस घटना के कारण मध्य रेलवे पर मुंबई की लोकल ट्रेन सेवाओं में भी देरी हुई है. रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी स्वप्निल नीला ने बताया कि यह घटना दिवा जंक्शन पर डाउन फास्ट लाइन और पांचवीं लाइन के बीच बिंदु संख्या 103 पर सिग्नलिंग और दूरसंचार प्रणाली में गड़बड़ी के कारण हुई थी.

लोको पायटल कैसे जानते हैं रूट?

अब आप सोच रहे होंगे कि ट्रेन के लोको पायलट आखिर रूट कैसे जानते हैं. जानकारी के मुताबिक लोको पायलट को किस ट्रैक पर जाना चाहिए, इसकी जानकारी उन्हें होम सिग्नल से मिलती है. ये सिग्नल ही बताता है कि लोको पायलट को किस ट्रैक पर ट्रेन को आगे लेकर जाना है और किस ट्रेन के लिए कौन सा ट्रैक तय किया गया है. वहीं जिस जगह पर कोई ट्रैक एक से ज्यादा भाग में बंट रहा हो, तो सिग्नल 300 मीटर पहले लगाया जाता है. 

ट्रेनों में होते हैं 2 लोको पायलट

बता दें कि रेलवे द्वारा हर ट्रेन में दो लोको पायलट की ड्यूटी तैनात की जाती है. जिसमें से एक लोको पायलट और दूसरा असिस्टेंट लोको पायलट होता है. वहीं आपातकाल स्थिति में कोई दिक्कत होने पर भी एक लोको पायलट स्थिति को संभाल लेते हैं.

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