Varanasi Durga Temple After killing of Shumbh Nishumbh goddess rested here know story – News18 हिंदी


अभिषेक जायसवाल/वाराणसी: महादेव की नगरी काशी को मंदिरों का शहर कहा जाता है. इस शहर में देवाधिदेव महादेव के साथ देवी के कई चमत्कारिक शक्तिपीठ भी है. काशी के केदारखंड में आदिशक्ति मां कुष्मांडा का ऐसा ही प्राचीन मंदिर है. इसे दुर्गा मंदिर के नाम से भी जानते है. धार्मिक कथाओं के अनुसार दैत्य शुम्भ निशुम्भ के वध के बाद देवी ने यही विश्राम किया था. इस शक्तिपीठ में दर्शन से सभी तरह के भय का नाश होता है.

काशी के इस ऐतिहासिक मन्दिर से जुड़ी एक और कथा भी है. कथाओं के अनुसार सुबाहु नाम के राजा ने देवी को प्रसन्न करने के लिए इसी जगह कठोर तप किया था. उनके तप से देवी प्रसन्न हुई, तो उन्होंने उन्हें अपने राजधानी में निवास करने का वरदान मांग लिया बस तभी से देवी यहां विराजमान हो गई.

नवरात्रि में होती है भीड़
काशी के इस मंदिर में देवी के दर्शन से न सिर्फ भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है, बल्कि सभी तरह के भय और बाधा से मुक्ति मिलती है. मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है. इसके अलावा नवरात्रि के नौ दिनों में यहां सुबह से शाम तक भक्तों का तांता लगा रहता है.

8 वीं शताब्दी से पहले हुआ था निर्माण
दुर्गाकुंड मंदिर के महंत दीपू दुबे ने बताया कि यह मंदिर सैकड़ो साल पुराना है. 18 वीं शताब्दी में से पहले नाटौर की रानी भवानी ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. उसके बाद बंगाल की महारानी ने इसका पुनः निर्माण कराया, जिसके बाद से यह मंदिर आजतक उसी स्वरूप में है. इस मंदिर से सटा देवी का एक कुंड भी है. इसके अलावा यहां दूसरे कई छोटे-बड़े मंदिर है.

इस समय होती है मंगला आरती
इस मंदिर में हर रोज भोर में ढाई बजे मंगला आरती के अलावा तीन पहर की आरती होती है, जिसमें भक्तों की भारी भीड़ होती है.

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