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VIP Traffic Protocol: धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार चुनाव हुए हैं, जिनमें शेख अब्दुल्ला की पार्टी, नेशनल कांफ्रेंस, ने बहुमत दर्ज करते हुए सरकार बनाई. उमर अब्दुल्ला केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री बने. मुख्यमंत्री पद संभालते ही उमर अब्दुल्ला ने एक बड़ी घोषणा कर दी. उन्होंने कहा है कि वह बतौर सीएम ट्रैफिक प्रोटोकॉल का लाभ नहीं लेंगे. यानी मुख्यमंत्री के नाते ग्रीन कॉरिडोर का लाभ नहीं लेंगे. 

बता दें कि वीआईपी और राजनेताओं के लिए ट्रैफिक प्रोटोकॉल होते हैं. जब वे अपनी आधिकारिक गाड़ी से दफ्तर, किसी काम के लिए, या फिर घर के लिए जाते हैं, तब ट्रैफिक रोक दिया जाता है. लेकिन इस बीच कई लोगों के मन में सवाल आता है कि अगर कोई वीआईपी अपनी पर्सनल गाड़ी में कहीं जाता है, तब भी क्या उसे ट्रैफिक प्रोटोकॉल का लाभ मिलेगा.

क्या होता है वीआईपी ट्रेफिक प्रोटोकाॅल?

कोई वीआईपी अगर सड़क पर कहीं जाता है. तो उसे ट्रैफिक प्रोटोकाॅल दिया जाता है. जिनमें राजनेता, सरकारी अधिकारी, और प्रमुख लोग शामिल होते हैं. उनकी सुरक्षा और सुविधा को देखते हुए सरकार की ओर उन्हें यह प्रोटोकॉल दिया जाता है. जिसमें ग्रीन कॉरिडोर में वीआईपी की यात्रा के दौरान उनके रास्ते में आने वाले ट्रैफिक सिग्नल को रोक दिया जाता है.

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जिससे उनके गुजरते वक्त किसी तरह की बाधा उत्पन्न न हो. ग्रीन कॉरिडोर के अलावा वीआईपी को पुलिस एस्कॉर्ट भी मिलते हैं. जो रास्ते में उनके साथ चलते हैं.  जब किसी वीआईपी की गाड़ी सड़क पर जाती है. तो नॉर्मल ट्रैफिक को रोककर उनकी गाड़ी के आगे जाने की परमिशन होती है. 

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पर्सनल गाड़ी में भी फॉलो होता है प्रोटोकॉल?

जहां वीआईपी को उनकी सरकारी गाड़ी में सारे प्रोटोकॉल दिए जाते हैं. तो वहीं वीआईपी लोगों के लिए ट्रैफिक प्रोटोकॉल को लेकर लोगों के मन में यह सवाल भी आते हैं कि क्या अगर कोई वीआईपी अपनी पर्सनल गाड़ी से कहीं जाता है. तब भी उसे पूरे ट्रैफिक प्रोटोकॉल दिए जाते हैं. तो बता दें ऐसा नहीं होता. ट्रैफिक प्रोटोकॉल वीईपी को उसके पद के लिए मिलता है. लेकिन जब व्यक्ति अपने निजी काम से निजी वाहन का उपयोग करता है तो उस समय उसे वीआईपी को ट्रैफिक  प्रोटोकॉल नहीं मिलते. 

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