Voice Of Those Facing Arbitrary Arrest Should Be Raised In Court: CJI – मनमाने ढंग से गिरफ्तारी का सामना करने वालों की आवाज न्यायालय में उठनी चाहिए : CJI


मनमाने ढंग से गिरफ्तारी का सामना करने वालों की आवाज न्यायालय में उठनी चाहिए : CJI

नई दिल्ली: भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा है कि न्यायिक प्रणाली की असली ताकत नागरिकों को न्याय तक पहुंच प्रदान करना और यह विश्वास दिलाना है कि मनमाने ढंग से गिरफ्तारी या विध्वंस की धमकी का सामना करने वाले को शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों से सांत्वना मिलेगी और आवाज सुनी जाएगी. 

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सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा मंगलवार को शीर्ष अदालत के परिसर में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में बोलते हुए, सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौती न्याय तक पहुंचने में आने वाली बाधाओं को खत्म करना और यह सुनिश्चित करना है कि न्यायपालिका समावेशी हो और पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे.

उन्होंने कहा कि…क्योंकि मामले का परिणाम चाहे जो भी हो, मेरा मानना है कि हमारे तंत्र की असली ताकत हमारे नागरिकों को न्याय तक पहुंच प्रदान करना, व्यक्ति के आत्मविश्वास की वह भावना है कि मनमानी गिरफ्तारी, विध्वंस की धमकी… को सांत्वना मिलेगी और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा आवाज सुनी जाएगी.

स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा क्षेत्रीय भाषाओं में निर्णयों के मुख्य अंशों का अनुवाद करने के शीर्ष अदालत के कदम की सराहना करने के तुरंत बाद, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि अब तक शीर्ष अदालत के 9,423 निर्णयों का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है. सीजेआई ने नागरिकों को अपने सभी 35,000 फैसले क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के शीर्ष अदालत के प्रयासों के बारे में भी बात की.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)



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