Vrindavan Banke Bihari Temple gets FCRA license know what it means
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वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर को FCRA लाइसेंस मिला है. भारत सरकार ने मंदिर का आवेदन स्वीकार करने के बाद उसे एफसीआरए लाइसेंस दिया है. बता दें कि यह लाइसेंस मिलने से अब मंदिर की प्रबंध समिति बड़ी तादाद में दान में मिलने वाली विदेशी मुद्र का इस्तेमाल कर सकती है. आज हम आपको बताएंगे कि एफसीआर लाइसेंस क्या होता है और सरकार इसे कब किसी मंदिर को देती है.
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क्या होता है एफसीआरए लाइसेंस?
अब जानते हैं कि एफसीआरए लाइसेंस क्या होता है? बता दें कि FCRA (Foreign Contribution Regulation Act) भारत में विदेशी चंदे के इस्तेमाल और मैनेजमेंट को कंट्रोल करने वाला एक कानून है. देश में इसे पहली बार 1976 में इमरजेंसी के दौरान लागू किया गया था. उस समय सरकार को यह आशंका थी कि विदेशी ताकतें स्वतंत्र संगठनों के माध्यम से भारत के मामलों में हस्तक्षेप कर रही हैं.
क्या है ये कानून
बता दें कि इस कानून का उद्देश्य देश में यह सुनिश्चित करना है कि विदेशी चंदे का उपयोग भारत की संप्रभुता और लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुसार हो रहा है. इतना ही नहीं इस कानून का मुख्य उद्देश्य ये है कि विदेशी फंड्स का दुरुपयोग नहीं होगा और इसका उपयोग केवल सही उद्देश्यों के लिए किया जाएगा.
मंदिर को कैसे मिलता है ये लाइसेंस
देश के कई विश्व प्रसिद्ध मंदिर है, जहां पर देश-विदेश से भक्त बड़ा चंदा और सोना-चांदी चढ़ाते हैं. इन फंड का इस्तेमाल करने के लिए मंदिरों को इस लाइसेंस की जरूरत होती है. बता दें कि FCRA के तहत जो व्यक्ति या संगठन विदेशी चंदा प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है. जैसे इसके लिए संस्था को FCRA के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है. वहीं विदेशी चंदे के लिए एक बैंक खाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया दिल्ली में खोलना होता है. विदेशों से प्राप्त फंड का इस्तेमाल केवल उसी उद्देश्य के लिए किया जा सकता है, जिसके लिए इसे प्राप्त किया गया है.
सालाना रिटर्न करना होता है दाखिल
एफसीआरए लाइसेंस मिलने के बाद संस्था या व्यक्ति को सालाना रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य होता है. इतना ही नहीं यह धनराशि किसी अन्य एनजीओ को ट्रांसफर नहीं की जा सकती है. वहीं कानून के तहत कुछ व्यक्तियों और संस्थानों को विदेशी चंदा प्राप्त करने की अनुमति नहीं है. इनमें चुनावी उम्मीदवार, पत्रकार, मीडिया कंपनियां, न्यायाधीश, सरकारी अधिकारी, सांसद, राजनीतिक पार्टियां और राजनीतिक संगठन शामिल हैं.
लाइसेंस से क्या होगा फायदा ?
बांके बिहारी मंदिर को गृह मंत्रालय से FCRA लाइसेंस के मिलने के बाद विदेशी फंड मिल सकेगा. जिसका इस्तेमाल वो कानून के तहत कर सकते हैं. बता दें कि बांके बिहारी मंदिर का प्रबंधन फिलहाल एक अदालत कर रही है, जिसने एक प्रबंधन समिति गठित की है.
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