Vrishabha Sankranti 2024: किस दिन है वृषभ संक्रांति? जानें स्नान-दान का महा पुण्यकाल, कैसे करें सूर्य देव की पूजा


ग्रहों के राजा सूर्य देव जिस समय वृषभ राशि में प्रवेश करेंगे, उस क्षण सूर्य की वृषभ संक्रांति होगी. वृषभ संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के बाद दान देने का विधान है. स्नान के बाद भगवान भास्कर की पूजा की जाती है. इस दिन सूर्य देव से जुड़ी वस्तुओं का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, इस साल की वृषभ संक्रांति सर्वार्थ सिद्धि योग और अश्लेषा नक्षत्र में है. उस दिन सुबह में रवि योग और पुष्य नक्षत्र है. आइए जानते हैं कि वृषभ संक्रांति कब है? वृषभ संक्रांति का महा पुण्यकाल और पुण्यकाल कब से कब तक है? वृषभ संक्रांति पर सूर्य पूजा कैसे करें?

किस दिन है वृषभ संक्रांति 2024?
इस साल की वृषभ संक्रांति 14 मई दिन मंगलवार को है. सूर्य देव शुक्र के राशि वृषभ में शाम 06 बजकर 04 मिनट पर प्रवेश करेंगे. उस समय सूर्य की वृषभ संक्रांति का क्षण होगा.

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वृषभ संक्रांति 2024 पुण्यकाल
14 मई को वृषभ संक्रांति के दिन महा पुण्यकाल 7 घंटे 14 मिनट तक है. महा पुण्यकाल का प्रारंभ सुबह 10 बजकर 50 मिनट से होगा और यह शाम 06 बजकर 04 मिनट तक रहेगा.

वृषभ संक्रांति 2024 महा पुण्यकाल
वृषभ संक्रांति का महा पुण्यकाल 2 घंटे 16 मिनट का है. उस दिन महा पुण्यकाल दोपहर में 03 बजकर 49 मिनट पर शुरू होगा और यह शाम को 06 बजकर 04 मिनट तक रहेगा.

महा पुण्यकाल में करें वृषभ संक्रांति का स्नान
वृषभ संक्रांति के दिन आप स्नान और दान महा पुण्यकाल में कर सकते हैं. इसके लिए यह समय सबसे अच्छा माना जाता है.

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वृषभ संक्रांति 2024 दान की वस्तुएं
वृषभ संक्रांति वाले दिन स्नान करने के बाद अपनी क्षमता के अनुसार दान कर सकते हैं. वृषभ संक्रांति पर आप गेहूं, लाल वस्त्र, लाल फूल, गुड़, घी, तांबे के बर्तन आदि का दान कर सकते हैं.

कैसे करें सूर्य देव की पूजा?
14 मई के दिन प्रात:काल में उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं. फिर तांबे के लोटे में जल, लाल चंदन और लाल फूल डाल लें. सूर्य देव को स्मरण करते हुए उस जल से अर्घ्य दें. इस दौरान सूर्य मंत्र का जाप करें. फिर सूर्य चालीसा और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें. अंत में घी के दीपक या कपूर से सूर्य देव की आरती करें. इस प्रकार से पूजा पाठ करके सूर्य देव से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें.

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