VVPAT Verification Petition Motivated Intention Was To Cast Doubt On Electoral Processes Says Senior Lawyer Mahesh Jethmalani – Exclusive: एक गुट ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं पर संदेह पैदा करने के लिए लगाई थी याचिकाएं – VVPAT केस पर महेश जेठमलानी
EVM-VVPAT मामले पर शुक्रवार को जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने सुनवाई की. दोनों ने एकमत से फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ सख्त टिप्पणी भी की. जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा, “देश की उपलब्धियों और सिद्धियों को कमजोर करने की कोशिश करने वाले कुछ निहित स्वार्थी समूहों की प्रवृत्ति तेजी से विकसित हो रही है.”
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EVM सिस्टम की पवित्रता और अखंडता पर लगी न्यायिक मुहर
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए महेश जेठमलानी ने कहा, “आपको चुनाव कराने के लिए EVM सिस्टम की पवित्रता और अखंडता पर न्यायिक मुहर मिल गई है. लेकिन ऐसा पहले भी हो चुका है. 2019 में शीर्ष अदालत ने पहले ही EVM सिस्टम को अपना समर्थन दे दिया था.” उन्होंने कहा, “कोर्ट के फैसले के बाद भी EVM-VVPAT को लेकर याचिकाएं दायर की गईं. ये सभी प्रेरित मुकदमे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि ये मामलें संदेह पर आधारित थे.”
यह एक प्रेरित याचिका- महेश जेठमलानी
सीनियर वकील महेश जेठमलानी कहते हैं, “यह एक प्रेरित याचिका है, जिसे ऐसे लोगों के एक समूह ने दायर किया; जो हमारी चुनावी प्रक्रिया को मजबूत करने के बारे में ज्यादा चिंतित नहीं हैं. ये लोग हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की पवित्रता पर संदेह पैदा कर रहे हैं…”
एक भीड़ ने बढ़ाई ये याचिकाएं
जेठमलानी ने कहा, “मैं उन्हें एक भीड़ कहता हूं, जिन्होंने ये याचिकाएं आगे बढ़ाईं. उनकी मंशा हमेशा संदिग्ध होती है. वे वास्तव में बुरी तरह से दंगा भड़काने वाले प्रेरित होते हैं. उनके द्वारा की जाने वाली कार्रवाइयों में जिम्मेदारी की कोई भावना नहीं होती है. बेशक आप जा सकते हैं और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते हैं. ये आपका स्व-प्रचार है और यह प्रचार देश की संस्थाओं की कीमत पर है.”
ये पक्षपातपूर्ण याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में चुनाव आयोग को 3 निर्देश दिए हैं. अदालत ने कहा कि सिंबल लोडिंग प्रक्रिया के पूरा होने के बाद इस यूनिट को सील कर दिया जाए. सील की गई यूनिट को 45 दिन के लिए स्ट्रॉन्ग रूम में स्टोर किया जाए. कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक मशीन से पेपर स्लिप की गिनती के सुझाव के परीक्षण का निर्देश भी दिया. अदालत ने यह भी कहा कि इलेक्शन कमीशन यह भी देखे कि क्या चुनाव निशान के अलावा हर पार्टी के लिए बारकोड भी हो सकता है. अदालत के निर्देशों में जेठमलानी ने बताया, “चुनाव आयोग ने कहा कि इसकी कोई जरूरत नहीं है. यह अच्छा है कि ये अतिरिक्त सावधानियां बरती गई हैं.”
उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ इस मुद्दे की एक और बार जांच की है, बल्कि अदालत ने इस हद तक जांच की है कि वे भविष्य में इस मुद्दे को फिर से नहीं खोलना चाहते हैं.”
प्रशांत भूषण के इरादों को समझिए
जेठमलानी कहते हैं, “प्रशांत भूषण जैसे किसी व्यक्ति के इरादों को देखें. जब कर्नाटक में विपक्ष जीतता है या केरल में लेफ्ट की जीत होती है, तब तो ईवीएम ठीक रहती है. इसकी विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठाए जाते. बीजेपी की जीत पर ही ईवीएम पर सवाल उठाए जाते हैं. ये कितना पक्षपातपूर्ण है.”
विपक्ष के बैनल तले संचालित हो रहा ये गुट
उन्होंने कहा, “भारत की चुनावी प्रक्रियाओं के खिलाफ एक गुट काम कर रहा है. ये गुट विपक्ष के बैनल तले संचालित होता है. मैं यह बहुत स्पष्ट रूप से कह रहा हूं. मैं इसे साबित कर सकता हूं कि हर बार इस समूह ने ऐसा किया है… इसने कभी भी ऐसे मुद्दों का समर्थन नहीं किया है. वास्तव में विपक्ष कीचड़ में सना हुआ है.”
सुब्रमण्यम स्वामी सभी तरह के उठाते हैं मु्द्दे
बीजेपी के सीनियर नेता लालकृष्ण आडवाणी और सुब्रमण्यम स्वामी ने भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर संदेह जताया था. इस बारे में पूछे जाने पर जेठमलानी ने कहा, “मुझे याद नहीं है कि आडवाणी ने कभी इस मुद्दे को उठाया हो. डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी के बारे में कोई क्या कह सकता है? वह बिजी पर्सन हैं. वह अदालत में जाते हैं और सभी प्रकार के मुद्दे उठाते हैं. लेकिन कोई भी डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी पर पक्षपातपूर्ण होने का आरोप नहीं लगा सकता है, वह एक मनमौजी राजनेता हैं. “
जेठमलानी ने यह भी कहा कि विपक्ष इन याचिकाकर्ताओं को एक मोर्चे के रूप में इस्तेमाल करता है. ऐसा न हुआ तो उसे जवाब देना होगा. जाहिर तौर पर विपक्ष ऐसा नहीं चाहता.
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