Weather Update Of India Getting Tougher Says Scientists Know The Reason Behind This
Climate Change: इस बार देश में मई का एक ऐसा रूप देखने को मिला जैसा पहले कभी नहीं देखा. दिन में चिलचिलाती धूप निकलती है और अचानक से ही मौसम बारिश का हो जाता है. मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक, अल नीनो के प्रभावी होने के बाद भी भारत में मानसून के मौसम में बारिश सामान्य से 96% तक हो सकती है. वैसे तो पिछले कुछ सालों से मौसम विभाग का अनुमान सही बैठता आ रहा है, लेकिन अब मानसून और बारिश का पूर्वानुमान मुश्किल होता जा रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि मुश्किलें बढ़ने के पीछे एक नहीं, बहुत सारे कारक हैं.
Table of Contents
एक सामान्य कारण
क्लाइमेट चेंज और ग्लोबल वार्मिंग का असर दुनियाभर के.देशों सहित भारत के मानसून पर भी पड़ रहा है. वैसे भारतीय मौसम विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है और उसके आंकड़े व अनुमान भी सटीक हो रहे हैं, लेकिन फिर भी मौसम का पूर्वानुमान लगाने में मुश्किल बढ़ना एक चिंता का विषय है.
आंकड़ों पर निर्भर है पूर्वानुमान
मौसम विभाग मानसून और बारिश के पूर्वानुमान के लिए कई प्रकार के आंकड़ों पर निर्भर है. इसके लिए वह खासतौर पर मौसम की जानकारी देने वाले इनसैट सैटेलाइट के आंकड़ों का इस्तेमाल करता है. इन सेटेलाइट्स को पृथ्वी की जियोसिंक्रोनस कक्षा में स्थापित किया गया है.
कई कारक करते हैं प्रभावित
इन आंकड़ों की मदद से वैज्ञानिक बादलों की एक्टिविटी, उनके तापमान, वाष्प की मात्रा आदि पर नजर रखते हैं और उनकी जानकारी जुटाते हैं. इन सभी आंकड़ों से मानसून का अनुमान लगाया जाता है. लेकिन ये सभी जानकारियां कई प्रकार की गतिविधियों से प्रभावित हो जाती हैं. इसमें सबसे प्रमुख कारक हिंद और प्रशांत महसागर की धाराओं में बदलाव, पश्चिमी विक्षोभ, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग आदि हैं.
मौसम के पूर्वानुमान में बढ़ी हैं कठिनाइयां
पिछले कुछ समय से जलवायु परिवर्तन के दुनियाभर के मौसम में अनिश्चितता बढ़ी है. उदाहरण के लिए चक्रवातों की संख्या और तीव्रता बढ़ गई, मौसमों के तापमान पैटर्न में बदलाव हुआ है. अल नीनो और ला नीना भी इसके लिए जिम्मेदार हैं. ऐसे में मौसम के पूर्वानुमान में कठिनाइयां बढ़ी हैं.