were there tailors even hundreds of years ago Know when the use of thread started


कपड़े इंसान की आम जरुरतों का हिस्सा हैं. हर मौके पर लोग अलगअलग तरह के कपड़े पहनना पसंद करते हैं. जैसे पार्टी में हों तो डिजाइनर, वहीं कहीं घूमने जाना हो तो अलग. इन कपडो़ं को बनाने का काम पिछले कई सालों से टेलर करते आए हैं. लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या सदियों पहले भी टेलर हुआ करते थे? उस समय कपड़े कैसे सिले जाते थे और कपड़े सिलने के लिए धागे का इस्तेमाल कब शुरू हुआ? चलिए जानते हैं.

पहली बार कब किया गया था धागे का इस्तेमाल?

धागे का इतिहास मानव सभ्यता के इतिहास जितना ही पुराना है. माना जाता है कि आदि मानव ने सबसे पहले पौधों की जड़ों, तनों और पत्तियों से रस्सी या धागा बनाना सीखा होगा. धीरेधीरे, उन्होंने जानवरों के बालों और रेशम के कीड़ों के रेशम से भी धागा बनाना शुरू किया.

शुरुआती धागे पौधों के रेशों से बनाए जाते थे जैसे कि कपास, लिनन और जूट. इन रेशों को तोड़कर, घिसकर और फिर मरोड़कर धागा बनाया जाता था. जानवरों के बालों, जैसे ऊन और ऊंट के बाल से भी धागा बनाया जाता था. इन बालों को धोकर, सुखाकर और फिर कताई करके धागा बनाया जाता था. इसके बाद रेशम के कीड़ों के कोकून से रेशम का धागा निकाला जाता था. यह धागा बहुत महीन और चमकदार होता था.

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कैसे हुई कपड़े बनाने की शुरुआत?

धागे के आविष्कार के बाद, कपड़े बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई. शुरुआत में लोग धागों को हाथों से बुनकर कपड़े बनाते थे. इस प्रक्रिया में एक करघे का उपयोग किया जाता था. करघे पर धागों को बुनकर अलगअलग प्रकार के कपड़े बनाए जाते थे. इस दौरान हाथ से बुनाई एक बहुत ही धीमी और मेहनत वाली प्रक्रिया थी. एक कपड़ा बनाने में कई दिन लग जाते थे. इसके बाद प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके कपड़ों को रंगा जाता था. पौधों, कीड़ों और खनिजों से अलगअलग प्रकार के रंग प्राप्त किए जाते थे.

कपड़े बनाने के बाद, उन्हें सिला जाता था. सिलाई के लिए हड्डी या लकड़ी की सुइयों का उपयोग किया जाता था. इसके बाद धागे को बांधने के लिए गांठ लगाई जाती थी.

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जब कपड़े सिलने के लिए आए टेलर?

जैसे-जैसे सभ्यता विकसित हुई, कपड़ों की मांग बढ़ती गई. लोगों को अलग-अलग अवसरों के लिए अलग-अलग तरह के कपड़े चाहिए होते थे. इसीलिए कपड़े बनाने और सिलने का काम एक कला बन गया. जो लोग कपड़े सिलने में माहिर थे, उन्हें टेलर या दर्जी कहा जाने लगा.

मध्यकाल में टेलर एक सम्मानित पेशा था. टेलर राजाओं, रानियों और धनी लोगों के लिए कपड़े सिलते थे. उन्होंने कपड़ों को सजाने के लिए अलगअलग तरह की कढ़ाई और बुनाई की तकनीकें विकसित कीं. इसके बाद आधुनिक युग में मशीनों का अविष्कार हुआ और मशीनों से कपड़े बनाए जाने लगे. हालांकि, अभी भी कई लोग ऐसे हैं जो हाथ से बुने हुए और सिल हुए कपड़ों को पसंद करते हैं.

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