What Is Light Pollution Know Its Side Effects
Light Pollution: जब भी प्रदूषण की बात होती है तो सभी के दिमाग में आमतौर पर वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण ही आते हैं. बचपन से ही हम कई प्रकार के प्रदूषणों के बारे में पढ़ते आए हैं, लेकिन तब भी प्रकाश प्रदूषण के बारे में बहुत लोग नहीं जानते हैं. Light Pollutuion क्या है, यह किस प्रकार से एक प्रदूषण है और इसके क्या-क्या दुषप्रभाव होते हैं? आज इस आर्टिकल में हम आपको यही सब बताने वाले हैं.
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क्या है ‘प्रकाश प्रदूषण’?
आसान भाषा में कहे तो जब कृत्रिम रोशनी का हद से ज्यादा इस्तेमाल होता है, तो उसे प्रकाश प्रदूषण कहते हैं.आज के दौर में यह काफी देखने को मिल रहा है. बढ़ते प्रकाश प्रदूषण ने इंसानों सहित जानवरों और अति सूक्ष्म जीवों की जिंदगी को कई तरह के खतरों में डाल दिया है. लाइट पॉल्यूशन औद्योगिक सभ्यता के विस्तारीकरण का साइड इफेक्ट है.यह कई प्रकार का होता है.
ग्लेयर लाइट पॉल्यूशन- रोशनी की अत्यधिक चमक जिससे आंखें चौंधिया जाएं और लाइट के थोड़ा-सा ही मद्धम होने पर अंधेरे सा दिखने लगे.
स्काईग्लो पॉल्यूशन- घनी बस्ती वाले इलाकों में रात के अंधेरे में आकाश का चमकना स्काईग्लो लाइट पॉल्यूशन होता है.
लाइट ट्रेसपास- अनावश्यक जगहों पर लाइट का पड़ना लाइट ट्रेसपास कहलाता है.
क्लटर- जब किसी एक ही स्थान पर कई चमकदार लाइटें लगी होती हैं, तो उसे क्लटर कहा जाता है.
Encyclopedia Britannica की एक रिपोर्ट कहती है कि रात अब उतनी अंधेरी नहीं होती है, जितनी पहले हुआ करती थी. स्ट्रीटलाइट्स, हाउस लाइट्स, कोच लाइट्स और इंटीरियर लाइटिंग की सामूहिक चमक रात में आकाश को रोशन करती है और सितारों को देखना कठिन बना देती है. साल 2016 में आई ‘वर्ल्ड एटलस ऑफ आर्टिफिशियल नाइट स्काई ब्राइटनेस’ नाम की एक स्टडी के मुताबिक दुनिया की 80 परसेंट शहरी आबादी स्काईग्लो पॉल्यूशन में होती है.
समझ नहीं आता नेचुरल और आर्टिफिशियल लाइट का अंतर
इसका दुष्प्रभाव यह होता है कि हम प्राकृतिक और कृत्रिम रोशनी का अंतर महसूस नहीं कर पाते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप और अमेरिका के 99 फीसदी लोगों को प्राकृतिक और कृत्रिम रोशनी में अंतर समझ नहीं आता है. इसके पीछे की वजह 24 घंटे बनावटी रोशनी में रहना है. ऐसे में प्राकृतिक रोशनी को पहचानने में दिक्कत आती है.
पक्षियों की हो जाती है मौत
एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में हर साल प्रकाश से 2.1 करोड़ टन कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जित होती है, जो पारिस्थितिकी तंत्र के साथ इंसानों और जीव-जंतुओं पर बुरा प्रभाव डालती है. प्रकाश के कारण परिंदे अक्सर विचलित हो जाते हैं और कई बार इमारतों या ऊंचे टावरों से टकराकर जख्मी भी हो जाते हैं. चांद की रोशनी के अभ्यस्त प्रवासी समुद्री कछुए और झिंगुर को भी इसी तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
इसके दुष्प्रभाव
इसका इंसान की सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है. बहुत ज्यादा रोशनी के चलते रात को नींद नहीं आती या फिर देर से आती है. नींद का चक्र बिगड़ने के कारण हमारी सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है. साथ ही अत्यधिक लाइटें इस्तेमाल करने से ऊर्जा की खपत भी ज्यादा होती है. जिससे संसाधनों का दुरुपयोग बढ़ जाता है. इसके अलावा, लाइट प्रदूषण कई प्रकार के जीवों के लिए जोखिम को बढ़ा देता है.