what is walking pneumonia and why are its cases increasing in Delhi Know how different it is from pneumonia
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के साथ–साथ एक नई बीमारी ने लोगों को परेशान कर दिया है और वह है “वॉकिंग निमोनिया”. यह बीमारी सामान्य निमोनिया से थोड़ी अलग है और इसके लक्षण भी अलग होते हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है वॉकिंग निमोनिया और दिल्ली में इसके मामले क्यों बढ़ रहे हैं.
क्या है वॉकिंग निमोनिया?
वॉकिंग निमोनिया, जिसे एटिपिकल निमोनिया भी कहा जाता है, एक प्रकार का फेफड़ों का संक्रमण है. यह सामान्य निमोनिया की तुलना में कम गंभीर होता है, लेकिन यह लंबे समय तक रह सकता है. इस बीमारी में मरीज को बुखार, खांसी, थकान और मांसपेशियों में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं. हालांकि, इस बीमारी में मरीज सामान्य रूप से चल फिर सकता है, इसलिए इसे वॉकिंग निमोनिया कहा जाता है.
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वॉकिंग निमोनिया और सामान्य निमोनिया में क्या अंतर है?
सामान्य निमोनिया अधिक गंभीर होता है और इसमें मरीज को सांस लेने में काफी परेशानी होती है. वहीं, वॉकिंग निमोनिया कम गंभीर होता है. सामान्य निमोनिया में उच्च बुखार, ठंड लगना, छाती में दर्द और खांसी के साथ पीले या हरे रंग का बलगम निकलना आम होता है. वहीं, वॉकिंग निमोनिया में बुखार कम होता है और खांसी सूखी होती है.
सामान्य निमोनिया बैक्टीरिया के कारण होता है, जबकि वॉकिंग निमोनिया वायरस या माइकोप्लाज्मा के कारण होता है. बता दें सामान्य निमोनिया का इलाज एंटीबायोटिक्स से किया जाता है, जबकि वॉकिंग निमोनिया का इलाज एंटीवायरल दवाओं से किया जाता है.
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दिल्ली में क्यों बढ़ रहे हैं वॉकिंग निमोनिया के मामले?
दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण वॉकिंग निमोनिया का मुख्य कारण है. प्रदूषण के कारण फेफड़ों में सूजन हो जाती है और हमारी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे हम संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं. दरअसल प्रदूषण में मौजूद छोटे कण फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं और संक्रमण को बढ़ावा देते हैं. वहीं सर्दियों में लोग अधिकतर घरों में रहते हैं, जिससे घरों के अंदर हवा प्रदूषित हो जाती है. यह भी वॉकिंग निमोनिया के फैलने का एक कारण है. साथ ही पहले से मौजूद स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि अस्थमा, दिल की बीमारी और डायबिटीज वाले लोग वॉकिंग निमोनिया के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं.
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