Which is the heaviest natural element found on Earth The density is so high that even gold and uranium will appear light


पृथ्वी  पर जीवन की उत्पत्ति को लेकर वैज्ञानिक अभी भी रिसर्च करते रहते हैं. वैज्ञानिक पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर जीवन होने की संभावनाओं को भी समझना चाहते हैं. इसमें सबसे खास पृथ्वी के विकास में उसके पर्यावरण का वर्तमान हालात तक पहुंचना है. जिसकी वजह से उसका वायुमंडल आज की स्थिति में पहुंच सका है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पृथ्वी पर सबसे भारी प्राकृतिक तत्व कौन सा है. आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे. 

गैस

पृथ्वी के वायुमंडल पर 78 प्रतिशत नाइट्रोजन होती है. वहीं 21 प्रतिशत ऑक्सीजन होती है. बाकी एक प्रतिशत सम्मिश्रण अन्य गैसों का होता है. कैलीफोर्निया लॉस एंजेसिल यूनिवर्सिटी के वुंड्स होल ओसियोनोग्राफिक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने एक नए उपकरण का उपयोग किया, जिसने पृथ्वी पर नाइट्रोजन और अन्य पदार्थों की उत्पत्ति पर प्रकाश डाला है. इतना ही नहीं यह उपकरण ज्वालामुखी की गतिविधियों पर उपयोगी नजर रख सकता है.

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सबसे भारी तत्व

कई बार ये सवाल उठता है कि पृथ्वी पर सबसे भारी प्राकृतिक तत्व कौन सा है. लेखक इयान रोएडरर के मुताबिक दुर्लभ प्रकार के सुपरनोवा और न्यूट्रॉन तारों की टक्करों में विशाल सुपरजाइंट तारों के ढहने वाले कोर में “तेज़ न्यूट्रॉन-कैप्चर प्रक्रिया” नामक कुछ होता है. वहीं इस प्रक्रिया के दौरान न्यूट्रॉन का तेज़ विस्फोट एक सेकंड से भी कम समय में हल्के तत्वों को भारी तत्वों में बदल देता है. 
जानकारी के मुताबिक हमारे सौर मंडल के जन्म से पहले प्राचीन तारों में आर-प्रक्रिया ने आज पृथ्वी पर पाए जाने वाले सबसे भारी तत्वों में से लगभग आधे का उत्पादन किया था. जब कोई तारा मरता है, तो वह उन भारी तत्वों को अंतरिक्ष में वापस भेज देता है, जहाँ वे अगली पीढ़ी के तारों में बदल सकते हैं.

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दुनिया भर के कई नमूनों का किया अध्ययन

बैरी और शोध के प्रमुख लेखक जबरेन लैबिदी अंतरराष्टराष्ट्रीय जियोकैमिस्ट के साथ मिलकर दुनिया भर के ज्वालामुखी गैसों के नमूनों का अध्ययन किया. इसके लिए उन्होंने नाइट्रोजन आईसोटोप का अध्ययन करने के लिए एक नई विधि का उपयोग किया था. इस विधि से उन्हें हवा में मौजूद नाइट्रोजन और पृथ्वी की सतह के भीतर मेंटल से आए नाइट्रोजन में अंतर करने में सहायता मिली है. उन्हें यह पता लगा कि पृथ्वी के मेंटल की नाइट्रोजन तभी से मौजूद है जब से हमारी पृथ्वी बनी है.

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