who was the first to raise his voice in the Supreme Court regarding pollution


भारत में इन दिनों कई जगहों पर पर्यावरण प्रदूषण के चलते परेशानियां पैदा हो रही हैं. वहीं पर्यावरण संरक्षण के लिए न्यायिक सक्रियता की शुरुआत सुप्रीम कोर्ट में एक व्यक्ति की याचिका के साथ हुई थी. यह याचिका पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ एक ऐतिहासिक लड़ाई का प्रतीक बन गई. ऐसे में चलिए जानते हैं कि इस याचिका को किसने दायर किया था और इसने देश के पर्यावरण संरक्षण के लिए कितना योगदान दिया.

किसने पॉल्यूशन को लेकर सबसे पहले उठाई थी आवाज?

भारत में पर्यावरण प्रदूषण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहली बार आवाज उठाने वाले व्यक्ति का नाम एम.सी. मेहता था. मेहता एक वकील थे जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में कई ऐतिहासिक याचिकाएं दायर कीं, जिसके परिणाम ये हुआ कि भारत में पर्यावरण कानून और नीतियों में क्रांतिकारी बदलाव आए.

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मेहता की याचिकाएं और उसके प्रभाव?

मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कई महत्वपूर्ण याचिकाएं दायर कीं.

श्रीराम फर्टिलाइजर्स केस: इस मामले में मेहता ने दिल्ली में श्रीराम फर्टिलाइजर्स कारखाने से निकलने वाले जहरीले गैस रिसाव के खिलाफ याचिका दायर की थी. इस याचिका के परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने कारखाने को बंद करने का आदेश दिया और पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए सख्त नियम बनाए.

टाटा यूनियन लिमिटेड केस: इस मामले में मेहता ने जमशेदपुर में टाटा यूनियन लिमिटेड के कारखाने से निकलने वाले प्रदूषण के खिलाफ याचिका दायर की थी. इस याचिका के परिणामस्वरूप कंपनी को प्रदूषण नियंत्रण के उपाय करने के लिए कहा गया.

दिल्ली प्रदूषण केस: मेहता ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ भी कई याचिकाएं दायर कीं. इन याचिकाओं के परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई कदम उठाने का निर्देश दिया.

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मेहता की याचिकाओं से क्या फायदा हुआ?

एम.सी. मेहता की याचिकाओं का भारत के पर्यावरण संरक्षण के लिए बहुत महत्व रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने मेहता की याचिकाओं के आधार पर कई जरुरी पर्यावरण कानून बनाए. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने मेहता की याचिकाओं के माध्यम से सरकार और अन्य सरकारी एजेंसियों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जिम्मेदार बनाया.                                            

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