Why Are Injections Given To Most Patients In The Arm Know The Reason Behind This
धरती पर पैदा होने वाला हर इंसान कभी ना कभी बीमार होता ही है. आप और हम भी हुए हैं. आपको याद होगा कि बचपन में जब हम बीमार होते थे और दवाइयां काम नहीं करती थीं तो डॉक्टर हमे सुई यानी इंजेक्शन लगा दिया करता था. हालांकि, बचपन में ये सुई बट पर या कमर में लगती थी, लेकिन जैसे ही हम बड़े हुए तो सुई हमारे हाथ पर लगने लगी. आज हम जानेंगे कि आखिर ऐसा क्यों. क्या इसके पीछे कोई विज्ञान काम करता है या डॉक्टर अपने मन से ये सब करते हैं.
क्या होता है इसके पीछे का कारण
अगर आप ऐसा सोचते हैं कि ये डॉक्टर के ऊपर निर्भर करता है कि वो आपको कहां इंजेक्शन लगाए तो आप गलत हैं. आपको बता दें शरीर में इंजेक्शन कहां लगेगा ये इंजेक्शन के प्रकार पर निर्भर करता है. दरअसल, इंजेक्शन कई तरह के आते हैं और हर इंजेक्शन शरीर के अलग अलग हिस्सों में लगाने से ज्यादा बेहतर तरीके से प्रभावी होता है. इंजेक्शन के प्रकार की बात करें तो इसमें इंट्रावेनस, इंट्रामस्क्युलर, सबक्यूटेनियस और इंट्राडर्मल जैसे इंजेक्शन आते हैं.
कौन सा इंजेक्शन कहां लगाया जाता है
सबसे पहले बात करते हैं इंट्रावेनस इंजेक्शन की. इस इंजेक्शन का इस्तेमाल नसों में सीधे मेडिसिन पहुंचाने के लिए किया जाता है. यही वजह है कि इसे हाथ में लगाया जाता है. आपको बता दें, टिटनेस हो या फिर कोविड वैक्सीन ये सब इंट्रावेनस इंजेक्शन ही हैं, इसीलिए इन्हें हाथ में लगाया जाता है.
वहीं दूसरी ओर इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन को मांसपेशियों वाले हिस्से में लगाते हैं. मांसपेशियों में इंजेक्शन लगाने से दवा सीधे खून में मिल जाती है और शरीर पर तेजी से असर करती है. यही वजह है कि इस तरह के इंजेक्शन को कूल्हों पर या फिर जांघ पर लगाया जाता है. ऐसे इंजेक्शन्स में ज्यादातर एंटीबायोटिक और स्टेरॉयड शामिल होते हैं.
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