Why are there more attacks in Rafah city of Gaza know how important this city is in this war


 भारत, अमेरिका समेत दुनियाभर की नजर इजरायल और हमास युद्ध पर है. इजरायल और हमास के बीच पिछले 7 महीनों से युद्ध जारी है. बीते रविवार यानी 26 मई के दिन हमास ने करीब 4 महीने में पहली बार मध्य इजरायल के तेल अवीव शहर पर बड़ा रॉकेट हमले का दावा किया है. वहीं इजराइली सेना ने कहा कि दक्षिणी गाजा के रफाह क्षेत्र से कम से कम आठ रॉकेट दागे गए थे. अब सवाल ये है कि आखिर इजराइली सेना गाजा के रफाह शहर में ही सबसे ज्यादा अटैक क्यों कर रही है. आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताएंगे. 

गाजा में कितने लोग मारे गए?

सबसे पहले जानते हैं कि अब तक के युद्ध में गाजा में कितने लोग मारे जा चुके हैं. बता दें कि द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक हमास की सशस्त्र शाखा अल-कस्साम ब्रिगेड ने बीते रविवार को अपने टेलीग्राम चैनल पर एक बयान में कहा कि उसने नागरिकों के खिलाफ जायोनी नरसंहार के जवाब में तेल अवीव पर एक बड़ा मिसाइल हमला किया है. वहीं इजरायली सेना के हमले में गाजा में हजारों लोग की मौत हो चुकी है.

आंकड़ों के मुताबिक गाजा में मृतकों की संख्या 35,984 तक पहुंच चुकी है. गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा था कि 7 अक्टूबर से गाजा पर इजरायली हमलों में कम से कम 35,984 फिलिस्तीनी लोग मारे गए हैं, जबकि 80,643 घायल हुए हैं. मंत्रालय के मुताबिक अक्टूबर से अब तक मरने वालों में अधिकतर महिलाएं और बच्चे हैं. हालांकि बहुत नागरिक अभी लापता हैं. 

रफाह

बता दें कि हमास को खत्म करने के लिए इजराइली सेना लगातार गाजा शहर पर हमले कर रही है. लेकिन इधर बीच इजराइली सेना ने राफा शहर पर भी कई अटैक किये हैं. इजराइली सेना का इसके पीछे का तर्क ये है कि रफाह में हमास के आतंकियों के कैंप हैं. जिसे इजराइली सेना तबाह कर रही है. 

रफाह शहर जरूरी क्यों?

गौरतलब है कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बीते 20 मार्च को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन से कहा था कि इजरायली सैनिकों के रफाह में प्रवेश किए बिना हमास के खिलाफ जीत हासिल करना असंभव है. अब इजरायली प्रधानमंत्री द्वारा रफाह का विशेष उल्लेख ये बताता है कि यह क्षेत्र भौगोलिक और रणनीतिक दोनों दृष्टि से कितना महत्वपूर्ण है. जानकारी के मुताबिक रफाह में चार हमास लड़ाकू बटालियनों का ठिकाना है. 

इजरायल सेना गाजा पट्टी के उत्तर और मध्य में सफलता पा चुकी है. आप इसको ऐसे समझिए कि गाजा पट्टी 41 किलोमीटर का एक संकीर्ण फिलिस्तीनी क्षेत्र है, जो भूमध्य सागर के पूर्वी तट पर स्थित है. यह उत्तर और पूर्व में इज़राइल से घिरा हुआ है. वहीं दक्षिण में इसकी सीमा मिस्र से लगती है. आसान भाषा में कहें तो रफाह शहर गाजा पट्टी को मिस्र से विभाजित करता है. गाजा में रहने वाले दो मिलियन लोगों के लिए तीन मुख्य प्रवेश और निकास बिंदु हैं. उत्तर में एरेज़ क्रॉसिंग और दक्षिण में राफ़ा या रफाह क्रॉसिंग है.

वहीं गाजा के दक्षिण में करीम अबू सलेम माल क्रॉसिंग भी है. इरेज़ क्रॉसिंग पर इजरायल का नियंत्रण है. जबकि राफा पहाड़ों और रेगिस्तान का एक विशाल क्षेत्र है, इस पर मिस्र का नियंत्रण है. रफाह शहर पर इजरायल का सीधा नियंत्रण नहीं है.  इसके अलावा तीसरा क्रॉसिंग करीम अबू सलेम पॉइंट गाजा, इजरायल और मिस्र के बीच जंक्शन पर है. यह भी इजरायल के नियंत्रण में है, लेकिन यह विशेष रूप से व्यापार की वस्तुओं की आवाजाही के लिए है. वहीं  करीम अबू सलेम में इजरायल का एक सैन्य अड्डा है, जिसके माध्यम से वह दक्षिणी गाजा में सभी गतिविधियों पर नज़र रखता है. 

गाजा की जीवन रेखा

रफाह गाजा की जीवन रेखा भी है. क्योंकि 2007 में इजरायल द्वारा गाजा पट्टी पर भूमि, समुद्र और हवाई नाकेबंदी लगाए जाने के बाद माल और मानवीय सहायता रफाह से होकर गुजरती है. रफाह एक एकमात्र स्थान है, जिसके माध्यम से गाजा के लोगों को मिस्र से ईंधन, खाना पकाने की गैस, दवाइयां और निर्माण सामग्री जैसी आवश्यक वस्तुएं मिलती हैं. युद्ध के शुरुआती दिनों में इज़रायल के हवाई हमलों ने क्रॉसिंग को तहस-नहस कर दिया था.

हालांकि इसे एक महीने बाद खोल दिया गया था और तब से मिस्र, इज़रायल और हमास के बीच हुए समझौते के बाद सीमित निकासी की अनुमति दी गई है. बता दें कि कई एनजीओ सदस्य और पासपोर्ट धारक इस क्रॉसिंग के ज़रिए गाजा पट्टी से युद्ध से बचकर निकल चुके हैं. यही कारण है कि इजरायल की सेना रफाह पर अपना पूरा नियंत्रण चाहती है, इसी कारण सबसे ज्यादा हमले रफाह में हो रहे हैं.  

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