why is Odisha government planting palm trees know this unique plan to save human lives explained
बिजली गिरने से दुनियाभर में हर साल कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं. भारत को ओडिशा राज्य में बिजली गिरने से होने वाली मौतों की संख्या सबसे ज्यादा होती है. इसे देखते हुए सरकार ने एक नया प्लान तैयार किया है और बिजली गिरने से लोगों के बचाव के लिए एक कास योजना बनाई है. इस खास योजना के तहत सरकार ने ओडिशा में 20 लाख पेड़ लगाने का ऐलान बनाया है. इस बीच सवाल ये उठता है कि बिजली गिरने से तो पेड़ भी गिर जाते हैं. ऐसे में ताड़ के पेड़ लोगों की सुरक्षा कैसे कर सकते हैं? चलिए जानते हैं.
देश में ये राज्य बिजली गिरने की समस्या से परेशान
आकाशीय बिजली गिरना ओडिशा में एक बड़ी चुनौती है. पिछले साल यानी 2023 में बिजली गिरने से 2 घंटे में 61 हजार से ज्यादा आसमानी बिजली गिरी थी, जिसमें 12 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. रिपोर्ट्स के अनुसार, मध्य प्रदेश में बिजली गिरने से मौतों के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. इसके बाद महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और ओडिशा में बिजली गिरने से सबसे ज्यादा मौतें हुईं हैं.
कैसे बिजली से लोगों की जान बचाएंगे ताड़ के पेड़?
ओडिशा सरकार ने बिजली गिरने से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए 20 लाख ताड़ के पेड़ (पाम ट्री) लगाने का ऐलान किया है. इन पेड़ों को अलग–अलग क्षेत्रों में लगाने के लिए वन और कृषि विभाग सहयोग करेंगे. न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए, राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री सुरेश पुजारी ने बताया कि बिजली से संबंधित मौतें हर दिन बढ़ती जा रही हैं. ओडिशा में बिजली गिरने से होने वाली मृत्यु दर भारत में सबसे ज्यादा है. रिपोर्ट्स की मानें तो कम से कम 300 लोगों की बिजली गिरने से जान चली गई. उन्होंने आगे कहा कि सरकार का प्राथमिक ध्यान बिजली गिरने की ज्यादा घटनाओं वाले संवेदनशील क्षेत्रों पर है. ओडिशा सरकार का लक्ष्य है इस साल लगभग 20 लाख ताड़ के पेड़ लगाए जाएं. प्रशासन का अंतिम लक्ष्य ओडिशा में बिजली गिरने से मौत की घटनाओं को पूरी तरह से रोकना है.
अब सवाल ये उठता है कि ताड़ के पेड़ लोगों को आसमानी बिजली से कैसे बचाएंगे? तो बता दें कि ताड़ के पेड़ (पाम ट्री) आमतौर पर सबसे ऊंचे होते हैं. इस ऊंचाई के चलते ही ये आकाश से गिरने वाली बिजली से इंसानों की जान बचाते हैं. आमतौर पर बिजली ऊंची चीजों पर गिरती है. यही वजह है कि शहरी इलाकों में ऊंची इमारतों पर लाइटनिंग अरेस्टर लगे रहते हैं, जो आसमानी बिजली को पकड़कर जमीन में रिलीज कर देते हैं. वहीं ग्रामीण इलाकों में ऐसी इमारतें नहीं होती, इसलिए ताड़ के पेड़ लाइटनिंग अरेस्टर की तरह काम कर सकते हैं.
ऊंची चीजों पर क्यों गिरती है बिजली?
अब सवाल ये उठता है कि आखिर बिजली ऊंची चीजों पर क्यों गिरती है. तो बता दें कि जब बिजली जमीन पर गिरने वाली होती है, तब सतह की तरफ नीचे की ओर एक चैनल विकसित हो जाता है. अमेरिकी की NOAA की रिपोर्ट के अनुसार, जब ये चैनल जमीन से लगभग 100 गज से भी कम दूरी पर रह जाता है, तो पेड़, झाड़ियां और इमारतें जैसी चीजें इससे मिलने के लिए चिंगारी (स्पार्क) भेजना शुरू कर देती हैं.
जब इनमें से एक स्पार्क नीचे की ओर आ रहे चैनल से जुड़ जाता है, तो एक भीषण इलेक्ट्रिक करंट चैनल से उस चीज की ओर दौड़ाता है जिसने स्पार्क पैदा किया था. ताड़ जैसे ऊंचे पेड़ और गगनचुंबी इमारतों पर आसपास की जमीन की तुलना में कनेक्टिंग स्पार्क पैदा होने की संभावना अधिक होती है. यही वजह है कि ऊंची चीजों पर बिजली गिरने की संभावना भी अधिक होती है. इसका मतलब ये नहीं है कि हमेशा ऊंचे पेड़ों पर ही बिजली गिरेगी. बिजली खुले मैदान में जमीन पर गिर सकती है, भले ही वहां ताड़ के पेड़ लगे हों. हालांकि ताड़ के पेड़ में नेचुरल कंडक्टर होता है जिससे बिजली गिरने के बाद का नुकसान सीमित होता है.
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