Why Is The Disease Named Ranikhet How Were Diseases Named? – बीमारी का नाम क्यों रानीखेत ! कहानी ये 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है



d80t0ko4 coronavirus doctor generic afp Why Is The Disease Named Ranikhet How Were Diseases Named? - बीमारी का नाम क्यों रानीखेत ! कहानी ये 100 साल से भी ज्यादा पुरानी है

रानीखेत बीमारी का इतिहास लगभग 100 साल पुराना है. इसके वायरस ‘पैरामाइक्सो’ को सबसे पहले वैज्ञानिकों ने साल1926 में इंग्लैंड के न्यू कैसल शहर में पहचाना था. दुनिया में अब भी इसे न्यू कैसल रोग ही कहा जाता है, लेकिन हिंदुस्तान में बीमारी का नाम ‘रानीखेत’ रख दिया गया था. इसकी वजह यह कि वर्ष 1928 में रानीखेत में मुर्गियों पर न्यू कैसल रोग महामारी की तरह फैल गया था. इसकी पुष्टि के बाद ब्रिटिश विज्ञानियों ने चतुराई से हिंदुस्तान में इसी देशके सुंदर शहर के नाम पर बीमारी का नाम बदलकर रानीखेत रख दिया. इसका मकसद शायद यह था कि भारत में इंगलैंड का न्यू कैसल शहर बदनाम न हो.

न्यूकैसल रोग (एनडी) दुनिया भर में पाई जाने वाली एक अत्यधिक संक्रामक और अक्सर गंभीर बीमारी है जो घरेलू मुर्गीपालन सहित पक्षियों को प्रभावित करती है. पहचाने जाने वाले और न्यूकैसल रोग (एनडी) कहे जाने वाले पहले प्रकोप 1926 में पोल्ट्री में, जावा, इंडोनेशिया (क्रानवेल्ड, 1926) और न्यूकैसल-अपॉन-टाइन, इंग्लैंड (डॉयल, 1927) में हुए थे। हालाँकि, इस तिथि से पहले मध्य यूरोप में इसी तरह की बीमारी फैलने की रिपोर्टें हैं. यह सांस एवं भोजन के द्वारा फैलने वाली बीमारी है. वहीं, यह संक्रमित टीकाकरण के कारण भी होती है. इसमें सांस फूलना और कमजोरी महसूस होती है. साथ ही मांसपेशियों में खिंचाव भी महसूस होती है. 

बीमारियों के नाम रखे जाने के पीछे की कहानी 

चौबटिया पेस्ट :  यह कॉपर कार्बोनेट, लेड ऑक्साइड और तेल के बीज से बना पेस्‍ट होता है, जो सेब के पेड़ों में फंगस लगने से बचने के लिए इस्‍तेमाल किया जाता है. चौबटिया अल्मोडा जिले का एक क्षेत्र है. यहीं के नाम से इसका नाम चौबटिया पेस्‍ट रखा गया. दरअसल, साल 1942 में उत्तर प्रदेश के अल्मोडा जिले के सरकारी फल अनुसंधान केंद्र, चौबटिया में विकसित किया गया था. इसलिए, इसका नाम चौबटिया पेस्‍ट रख दिया गया. 

पार्किंसंस रोग : पार्किंसंस रोग का नाम सर्जन और भूविज्ञानी जेम्स पार्किंसन के नाम पर रखा गया था. पार्किंसंस एक मनोदशा संबंधी बीमारी है. यह एक ऐसी स्थिति है जो समय के साथ बढ़ती है. यह तब होती है, जब मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाएं डोपामाइन नामक शरीर के रसायन को उचित मात्रा में नहीं बना पाती है. यह आपके मस्तिष्क के कुछ हिस्सों को ख़राब कर देता है. यह रोग धीमी गति, कंपकंपी, संतुलन संबंधी समस्याएं और बहुत कुछ पैदा करने के लिए जाना जाता है. डॉक्‍टर्स की मानें तो अधिकांश मामले यह अज्ञात कारणों से होता है, लेकिन कुछ मामले अनुवांशिक भी देखे गए हैं.

अल्जाइमर रोग : जर्मन मनोचिकित्सक अलॉयसियस ‘एलोइस’ अल्जाइमर द्वारा डिमेंशिया का पहला मामला प्रकाश में लाया गया था. इन्‍हीं के नाम पर इसका नाम ‘अल्जाइमर रोग’ रखा गया है. अल्जाइमर ‘भूलने का रोग’ है. इस बीमारी के लक्षणों में याददाश्त की कमी होना, निर्णय न ले पाना, बोलने में दिक्कत आना तथा फिर इसकी वजह से सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं की गंभीर स्थिति आदि शामिल हैं.

मंकीपॉक्स : साल 1958 में डेनमार्क के कोपेनहेगन की एक लैब में रखे गए बंदरों में अजीब बीमारी देखी गई. इन बंदरों के शरीर पर चेचक जैसे दाने उभर आए थे. ये बंदर मलेशिया से कोपेनहेगन लाए गए थे. जब इन बंदरों की जांच की गई, तो इनमें एक नया वायरस निकला. इस वायरस को नाम दिया गया- मंकीपॉक्स.  बाद में 1970 में यह वायरस मनुष्यों में पाया गया. यह संक्रमित जानवरों से इंसानों में फैल रहा है, यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकता है. 

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