Will Rahul Gandhi Change His Strategy?
कांग्रेस पार्टी के हाथों से राजस्थान और छत्तीसगढ़ भी छिन गया है. मध्य प्रदेश में भी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. हालांकि, कांग्रेस को इस बार काफी उम्मीदें थी कि परिणाम उनके पक्ष में आएंगे. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. राहुल गांधी ने भी हार स्वीकार कर ली है. उन्होंने कहा कि ‘विचारधारा की लड़ाई’ जारी रहेगी. हम विनम्रतापूर्वक मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के जनादेश को स्वीकार करते हैं. इन चुनाव परिणाम से जाहिर हो गया है कि कांग्रेस की रणनीति काम नहीं आई. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी अब अपनी रणनीति में बदलाव करेंगे? लोकसभा चुनाव में अब छह महीने से भी कम समय बचा है. ऐसे में यह सवाल और महत्वपूर्ण हो जाता है.
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कुछ सलाहकार दे रहे गलत सलाह!
राहुल गांधी को पार्टी के कुछ ही नेताओं पर भरोसा करना बंद करना होगा. पिछले काफी समय से राहुल गांधी अपने जिन सलाहकारों के कहे पर चल रहे हैं, उनसे उनकी छवि बिगड़ ही रही है. यह बात राहुल गांधी जितनी जल्दी समझ जाएं, उतना अच्छा होगा. राहुल गांधी को इन सलाहकारों की सलाह से नुकसान ही हो रहा है. वह लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भला-बुरा कहते रहते हैं, वो उन्हें बंद करना होगा.
उत्तर और दक्षिण में अंतर बंद करें
राहुल गांधी उत्तर और दक्षिण भारत में काफी अंतर करते हैं. वह अपनी कई सभाओं में उत्तर से बेहतर दक्षिण को बताते रहे हैं. माना कि राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद हैं और अपने राज्य की प्रशंसा करना उनका कर्तव्य है, लेकिन इसके लिए उन्हें उत्तर भारत के राज्यों को नीचा दिखाना जरूरी नहीं है. यह बात शायद राहुल गांधी के सलाहकार उन्हें अभी तक समझा नहीं पाए हैं. राहुल गांधी को इस पर बात करनी चाहिए कि कांग्रेस की नीतियां क्या हैं. ये नीतियां कैसे आम जनता के जीवन में परिवर्तन ला सकती हैं. राहुल गांधी को यह भी समझना होगा कि जाति जनगणना पूरे देश का मुद्दा नहीं है. इस मुद्दे को राहुल गांधी ने पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान जमकर उठाया था, लेकिन इसका कोई फर्क नहीं पड़ा.
कांग्रेस की हार के कारण
ऐसा लगता है कि कांग्रेस में कुछ नेता पार्टी से खुद को ऊपर समझने लगते हैं. वहीं, पूरी व्यवस्था बिगड़ जाती है. मध्य प्रदेश में हाल ही में ऐसा देखने को मिला. कमलनाथ ने 10 जनपथ की जनदीकी का फायदा उठाकर किसी की नहीं सुनी.
उधर, राजस्थान में जब अशोक गहलोत ने आलाकमान की बात नहीं मानी, तब उन्हें क्यों नहीं हटाया गया? इस सवाल का जवाब शायद कांग्रेस आलाकमान के पास न हो. ऐसा बीजेपी में कभी देखने को नहीं मिलेगा.
छत्तीससगढ़ में भूपेश बघेल पर आंख मूंदकर भरोसा करना भी आलाकमान की दूरदर्शिता में कमी को उजागर करता है.
मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में मैनेजिंग एडिटर हैं…
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